अरशद आजमी, बारियातू. यह तस्वीर प्रखंड मुख्यालय में एनएच की है. बारियातू शहर अब बदला-बदला दिखता है. धीरे-धीरे अब बारियातू भी बड़ा बाजार बनता जा रहा है. एक से बढ़कर एक दुकानें यहां खुल रहीं हैं. स्थानीय लोग यहां रोजगार से जुड़ कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. यह बदलाव अचानक नहीं आया. एनएच के बनने के बाद यहां कई दुकानें खुलीं है. स्थानीय स्तर पर ही सभी तरह के आवश्यक सामान अब मिल रहे है. एक समय था जब यह प्रखंड उग्रवाद से घिरा था. यहां के कई गांव से बड़ी तादाद में लोग महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, गुजरात, पश्चिम बंगाल, केरल आदि राज्यों में जाकर मजदूरी करते थे. उग्रवाद व काम के अभाव में पलायन मजबूरी थी. पिछले कुछ वर्ष से पलायन कुछ हद तक रुका है. लोग गांव में ही छोटी-बड़ी दुकान खोलकर रोजगार से जुड़ रहे हैं. अच्छी आमदनी कर रहे हैं. यहां विभिन्न गांव के लोग बारियातू चौक पहुंचकर जरूरत का सामान खरीदते हैं.
महिलाएं आ रही आगे, चला रही दुकान
इस बदलाव में महिलाओं का भी अहम रोल है. अब प्रखंड की महिलाएं भी कई दुकान संचालित कर आत्मनिर्भर बन रही है. बारियातू चौक दिन भर गुलजार रहता है. पहले यहां के लोग हर तरह की जरूरत का सामान खरीदने 10-15 किलोमीटर दूर बालूमाथ जाते थे. अब समय और पैसे दोनों बचता है. हाल के दिनों में यहां टाइल्स, सेनेट्ररी, फर्नीचर, हार्डवेयर, जेनरल स्टोर, बड़े किराना दुकान, कपड़ा दुकान, खाद-बीज, बर्तन, ज्वेलर्स, अच्छे होटल, सीमेंट, छड़, इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि की दुकानें खुली है. स्टूडियो, प्रज्ञा केंद्र, कैफे आदि भी संचालित हो रहे हैं. निश्चित ही कारोबार बढ़ने से लोगों की आय व जीवन स्तर बेहतर हुआ है. ग्रामीण देवनंद प्रसाद, मो अय्युब, मो अंजर, भुनेश्वर यादव, अनूप उरांव, सकेंदर राम, गोपाल यादव, अर्जुन उरांव, संतोष यादव व पवन कुमार ने बताया कि पहले छोटा-बड़ा सामान खरीदने के लिये बालूमाथ या चंदवा जाना पड़ता था. अब हर तरह का सामान यहीं उपलब्ध हो जाता है. लोगों ने विधायक बैजनाथ राम व उपायुक्त से शहर में सरकारी मार्केट बनाने की मांग की है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है