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पीटीआर में वन प्राणियों की निगरानी के लिए साइकिल से पेट्रोलिंग शुरू

झारखंड के इकलौते बाघ आरक्षित पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में विशेष माॅनसून पेट्रोलिंग की शुरुआत की गयी है.

बेतला. झारखंड के इकलौते बाघ आरक्षित पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में विशेष माॅनसून पेट्रोलिंग की शुरुआत की गयी है. माॅनसून के दौरान वन और वन्य प्राणियों के संरक्षण व संवर्धन में हाई अलर्ट जारी करते हुए सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत कर दिया गया है. बारिश के दौरान जगह-जगह पर तैनात टाइगर ट्रैकर को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो इसे देखते हुए पीटीआर प्रबंधन चौकस है. बरसात के दिनों में जंगल के रास्ते पूरी तरह से अवरूद्ध हो जाते हैं. एक जगह से दूसरे जगह तक जोड़ने वाले कच्ची सड़कें बह जातीं हैं. इस कारण वाहनों से कई जगहों पर पेट्रोलिंग संभव नहीं हो पाती है. इसे देखते हुए इस बार साइकिल पेट्रोलिंग की शुरुआत की गयी है. पीटीआर के करीब 180 टाइगर ट्रैकर को साइकिल दी गयी है. साथ ही टाइगर ट्रैकर को बरसात में पेट्रोलिंग करने में असुविधा न हो इस देखते हुए रेनकोट, जैकेट, टॉर्च की अलावे सांपों से सुरक्षा करने के लिए स्नेक बूट दिया गया है.

क्यों होती है माॅनसून पेट्रोलिंग

माॅनसून वन्य प्राणियों के लिए प्रजनन काल होता है. इस बीच जंगली जानवरों की सुरक्षा महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दौरान जंगली जानवर आक्रामक तेवर में भी रहते हैं. उनके आक्रामक रुख को देखते हुए उन पर विशेष नजर रखी जाती है. जंगल के जलाशय में पानी भरने तथा जंगल के और घना हो जाने के कारण जंगली जानवर कई बार भटक कर गांव की ओर आ जाते हैं. ऐसे में उनके शिकार होने की संभावना बढ़ जाती है. वहीं दूसरी ओर माॅनसून के दौरान भारी बारिश से जंगल के कई रास्ते पूरी तरह से कट जाते हैं. एनटीसीए के निर्देश पर जुलाई से सितंबर माह तक पीटीआर में पर्यटन गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाती है. ऐसे में वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए माॅनसून पेट्रोलिंग एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

क्या कहते हैं फील्ड डायरेक्टर

पीटीआर फील्ड डायरेक्टर कुमार आशुतोष ने कहा कि माॅनसून पेट्रोलिंग को लेकर पीटीआर प्रबंधन सदैव सतर्क रहता है. बरसात के दौरान वन्य प्राणियों पर विशेष नजर रखी जाती है. वहीं टाइगर ट्रेकर्स को कोई असुविधा न हो इसे देखते हुए उन्हें सुरक्षा के लिए जहां पेट्रोलिंग किट दिया गया है. साइकिल भी दिया गया है, ताकि वह आसानी से गंतव्य तक पहुंच सके और वन एवं वन्य प्राणियों की निगरानी कर सके.

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