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87 साल से दुबे जी के गोला में प्रतिमा स्थापित कर हो रही है मां दुर्गा की पूजा

प्रखंड में दुर्गा पूजा का इतिहास काफी पुराना रहा है. यहां वर्षों से प्रतिमा स्थापित कर मातेश्वरी की पूजा हो रही है. कोरोना के कारण पिछले दो साल से सरकार के निर्देशानुसार पूजा संपन्न हुई

By Sameer Oraon | September 29, 2022 2:03 PM

प्रखंड में दुर्गा पूजा का इतिहास काफी पुराना रहा है. यहां वर्षों से प्रतिमा स्थापित कर मातेश्वरी की पूजा हो रही है. कोरोना के कारण पिछले दो साल से सरकार के निर्देशानुसार पूजा संपन्न हुई. इस बार कोरोना का प्रकोप कम होते लोगों के चेहरे पर उमंग दिख रहा है. पूजा समितियां भी जोर-शोर से तैयारी में लगी है. श्रद्धालुओं के सेवार्थ हर कार्य में जी जान से जुटे हैं. आपको प्रखंड की कई पूजा समितियों से रूबरू कराते हैं. प्रस्तुत है पहली कड़ी पूजा समिति की जानकारी.

दुबे जी का गोला:

दुबे जी के गोला में वर्ष 1935 में प्रतिमा स्थापित कर मां दुर्गे की पूजा शुरू की गयी थी. काफी दिनों तक शिव व्रत दुबे ने यह परंपरा निभायी. उनके रहते सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति के बैनर तले यहां पूजा अनवरत जारी है. यहां की पूजा का इतिहास करीब 87 साल पुराना है. उनके निधन के बाद पुत्र संजय दुबे व समिति के लोग के सहयोग से पूजा हो रही है. अध्यक्ष संजय दुबे व सचिव राजू सिंह के नेतृत्व में इस बार यहां भव्य पूजा की तैयारी चल रही है.

दुर्गा मंडल बुध बाजार: 

यहां 1972 से लगातार प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जा रही है. पूर्व में यहां अष्टमी, नवमी तिथि को मनोरंजन के लिए ड्रामा, आर्केस्ट्रा व भक्ति जागरण का आयोजन होता था. पिछले कई वर्षों से यह बंद है. अब माता का भंडारा भी आयोजित होता है. पिछले कुछ वर्षों से रावण दहन कार्यक्रम समिति की पहल पर हाई स्कूल में शुरू किया गया है. अध्यक्ष रंजीत गुप्ता व सचिव अंकित कुमार ने बताया कि इस बार आजादी के अमृत महोत्सव की थीम पर यहां पंडाल बन रहा है. प्रतिदिन आरती में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुट रहे हैं.

रेलवे स्टेशन टोरी : 

यहां भी दुर्गा पूजा का पुराना इतिहास रहा है. यहां 1967 में मातेश्वरी की पूजा की शुरुआत हुई थी, जो अनवरत जारी है. रेलवे कर्मचारियों व अधिकारियों की पहल पर यहां प्रतिमा स्थापित कर मां दुर्गे की पूजा की शुरुआत हुई थी. अब भी यह परंपरा यहां निभायी जा रही है. यहां बंगाली रीति रिवाज से पूजन पद्ति अपने आप में अद्भुत है. इस बार यहां अध्यक्ष टोरी एसएस अशोक कुमार व सचिव टीआई संजय कुमार के नेतृत्व में विहंगम पूजा की तैयारी जारी है.

दुर्गा मंडल हरैया-कामता :

यहां झारखंड राज्य निर्माण के वर्ष 2000 में मां दुर्गे की पूजा की शुरुआत की गयी थी. यहां शुरुआत से ही पंडित बालकृष्ण दैवज्ञ बतौर आचार्य पूजन कार्य में रहते हैं. दशहरा के दिन जतरा व रावण दहन की परंपरा है. इसमें बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं. प्रखंड में रावण दहन की शुरुआत सबसे पहले यहीं हुई थी. अध्यक्ष अजय कुमार जायसवाल के नेतृत्व में पूजा समिति के लोगों द्वारा भव्य पूजा की तैयारी जारी है.

शिव मंदिर थाना टोली – 

यहां पूजा की शुरुआत वर्ष 2009 में हुई थी. इसमें स्थानीय लोगों व युवकों का उत्साह देखते बनता है. संस्थापक अध्यक्ष सत्येंद्र प्रसाद के अलावा चंद्रशेखर उपाध्याय, हरिनंदन दुबे व अन्य लोग धूमधाम से पूजा को भव्य बनाने में लगे रहते हैं. इस वर्ष भी समिति के अध्यक्ष सत्येंद्र प्रसाद की देखरेख में भव्य पंडाल बनाया जा रहा है. मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया है. श्रद्धालुओं के सेवार्थ कार्य जारी है.

पंचमुखी हनुमान मंदिर: 

पंचमुखी हनुमान मंदिर परिसर में इस वर्ष 2022 में पहली बार प्रतिमा स्थापित कर पूजा करने का निर्णय स्थानीय लोगों ने लिया है. नयी समिति गठित की गयी है. अध्यक्ष रंजीत गुप्ता व सचिव मनोज सिंह के नेतृत्व में समिति के कार्यकर्ता जी जान से पूजा की तैयारी में जुटे हैं. आसपास के लोगों का उत्साह देखते बन रहा है. भव्य पंडाल की तैयारी हो रही है. प्रतिमा निर्माण कार्य भी जारी है. समिति के लोगों ने कहा कि पहली बार पूजा स्थापित कर आनंद महसूस हो रहा है.

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