जंगल में आग लगने से इको सिस्टम ध्वस्त हो जाता है

महुआ का सीजन आते ही जंगलों में आग लगने का सिलसिला शुरू हो गया है. पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र के विभिन्न गांवों के जंगल में महुआ चुनने वाले ग्रामीण द्वारा आग लगायी जा रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 23, 2024 3:49 PM

तसवीर-23 लेट-1 जंगल मे लगी आग

संतोष कुमार.

बेतला. महुआ का सीजन आते ही जंगलों में आग लगने का सिलसिला शुरू हो गया है. पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र के विभिन्न गांवों के जंगल में महुआ चुनने वाले ग्रामीण द्वारा आग लगायी जा रही है. इस कारण जंगल के छोटे छोटे पौधे जलकर नष्ट हो रहे हैं. चैत के महीने में पेड़ पौधों में नये पत्तों के आने से हरियाली बढ़ जाती है. उनकी खूबसूरती देखते ही बनती है. लेकिन महुआ चुनने के लिए लोग जानबूझकर जंगल में आग लगाते हैं. जिससे पूरा जंगल क्षेत्र आग की गिरफ्त में आ जाता है. उसे बुझाने के लिए वन विभाग के द्वारा गठित टीम को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. ऐसे में पलामू टाइगर रिजर्व के घने जंगल पूरे राज्य के लिए धरोहर है. इसकी सुरक्षा में पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन जुटा हुआ है बावजूद इसके स्थानीय लोगों का सहयोग बहुत जरूरी है.

मर जाते हैं लाखों जीव जंतु

जंगलों में आग लगने से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है. विशेषज्ञों की मानें तो पौधों में कई ऐसी जड़ी बूटी भी शामिल होते हैं जो दुर्लभता से मिलते हैं. गर्मी के दिनों में तकरीबन सभी पौधे के फल अपने बीज को गिरा देते हैं जो हवा के द्वारा इधर-उधर फल जाता है .जिससे नये पौधे उगते हैं लेकिन आगजनी की घटना से सभी बीज जलकर नष्ट हो जाते हैं.वही सैकड़ो प्रकार के पशु पक्षियों के ऊपर भी खतरा मंडराने लगता है .तीतर, बटेर,मोर सहित कई पक्षियों के अलावा गिरगिट, छिपकली,सांपों के द्वारा झाड़ियां में अंडे दिये जाते हैं, वहीं उनके बच्चे मौजूद होते हैं जो आग लगने से मर जाते हैं. आग की लपटें और धुआं से पेड़ों पर बसेरा डाले पक्षियों के बच्चे मर जाते हैं.वहीं कई ऐसे पर्यावरण में घटक है जिनका जंगल और जानवर के विकास के लिए मौजूद रहना जरूरी है उनका अस्तित्व भी मिट जाता है. लेकिन लोग महुआ के लिए जंगलों में आग लगा देते हैं, इसका खामियाजा जंगल में रहने वाले बेजुबान निर्दोष जीव जंतुओं को भुगतना पड़ता है. पलामू टाइगर रिजर्व के विशेषज्ञों की माने तो जंगल में मौजूद हजारों प्रकार के जड़ी बूटी की कीमत महुआ की कीमत के बराबर नहीं हो सकती है.

क्या कहते हैं पर्यावरण विशेषज्ञ

पर्यावरण विशेषज्ञ डॉक्टर डीएस श्रीवास्तव ने कहा कि जंगल में आग लगने से सब कुछ तबाह हो जाता है. स्वतंत्र रूप से रहने वाले जीव जंतुओं की न केवल अकाल मृत्यु हो जाती है बल्कि पूरा का पूरा इकोसिस्टम ही ध्वस्त हो जाता है. विभागीय पदाधिकारी को इसके लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. रात में महुआ चुनने पर रोक लगाई जानी चाहिए. प्रतिबंधित इलाके में महुआ चुनने के लिए जो लोग आग लगाते हैं उन्हें चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.

Next Article

Exit mobile version