आसमान की ओर टकटकी लगाये बैठे हैं किसान
खेती के लिए आषाढ़ का समय काफी महत्वपूर्ण होता है. आषाढ़ माह अब खत्म होने को है, लेकिन बारिश के अभाव में अभी तक किसान खेत तैयार नहीं कर पाये हैं.
चंदवा. खेती के लिए आषाढ़ का समय काफी महत्वपूर्ण होता है. आषाढ़ माह अब खत्म होने को है, लेकिन बारिश के अभाव में अभी तक किसान खेत तैयार नहीं कर पाये हैं. कई गांव में तो धान का बीड़ा भी नहीं हो पाया है. प्रतिदिन आसमान पर काले बादल मंडरा रहे हैं. लगता है कि जोरदार बारिश होगी, पर बारिश नहीं हो रही. सुखाड़ की आहट सुनाई पड़ने लगी है. किसान आसमान की ओर टकटकी लगाये बैठे हैं. आंकड़ों पर गौर करे, तो जून माह में बारिश की हालत इस साल पिछले दो वर्ष से भी खराब है. जून माह में इस वर्ष 46 एमएम बारिश हुई है. वहीं जून माह में वर्ष 2022 में 61.4 एमएम व 2023 में 108 एमएम बारिश दर्ज की गयी थी. इसके अलावे अप्रैल व मई माह पूरी तरह सूखा रहा. साइक्लोन की बारिश भी नहीं हुई, जबकि वर्ष 2022 व 2023 में इन दोनों माह में बारिश हो गयी थी. जून माह में माॅनसून के आने के बाद लगा था कि इस साल बेहतर बारिश होगी, पर माॅनसून इस साल भी दगा दे गया है. जुलाई माह में अब तक महज 130 एमएम बारिश दर्ज की गयी है. यह पिछले साल की अपेक्षा भी काफी खराब है. बारिश की कमी के कारण किसान खेत भी तैयार नहीं कर पाये है. कई स्थान पर लगाये गये बीड़ा अब सूखने की कगार पर हैं. लोग पानी की किल्लत और गर्मी से भी परेशान हो रहे है. कुएं और चापानल का जलस्तर नीचे चला गया है. जलाशयों में पानी नहीं भर पाया है. मनुष्यों के अलावा पशुओं को भी पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है