मोटे अनाज की खेती पर किसानों को प्रोत्साहन राशि

झारखंड सरकार ने मिलेट योजना के तहत मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक खेती करनेवाले किसानों को प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 17, 2024 5:50 PM

लातेहार. झारखंड सरकार ने मिलेट योजना के तहत मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक खेती करनेवाले किसानों को प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया है. मोटे अनाज की खेती करनेवाले किसान को एक एकड़ भूमि पर 3000 और अधिकतम पांच एकड़ भूमि पर 15000 रुपये की प्रोत्साहन राशि मिलेगी. सरकार ने छोटे और सीमांत किसान, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, उन्हें बिना किसी हानि के परवाह किये मोटे अनाज उत्पादन कर आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से यह योजना चलायी है. योजना के तहत 10 डिसमिल से पांच एकड़ जमीन रैयती अथवा बटाईदार किसानों को प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. झारखंड सरकार की ओर से लक्ष्य के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए लातेहार जिले में 500 हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसके तहत लातेहार प्रखंड में एक हेक्टेयर, चंदवा में नौ, बारियातू में नौ, गारू में नौ, बालूमाथ में पांच, बरवाडीह में दो, महुआडांड़ में 19, मनिका में दो और सरयू में दो हेक्टेयर भूमि पर खेती की गयी है. इस योजना को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से जिला में बीज बैंक बनाने की भी योजना है, ताकि किसानों को बीज के लिए किसी दूसरे पर आश्रित नहीं रहना पड़े. मोटे अनाज की खेती के लिए जमीन और जलवायु अनुकूल: मिलेट योजना के तहत मोटे अनाज के उत्पादन के लिए लातेहार जिले की जमीन और जलवायु दोनों अनुकूल है. योजना के तहत किसानों को पहले अपने स्वयं की लागत से खेती करनी है. इसके बाद विभाग द्वारा सत्यापन के बाद सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि उपलब्ध करायी जाती है. देश-विदेश में भी मोटे अनाज की मांग बढ़ी है. इसमें पाये जानेवाले पौष्टिक तत्व मैग्नीशियम, विटामिन बी, कैल्शियम, आयरन, कार्बोहाइड्रेट कुपोषण से बचाने में काफी लाभप्रद है. स्तनपान करानेवाली माता और बढ़ते बच्चों के स्वास्थ्य के लिए यह वरदान साबित हो रहा है. क्या कहते हैं किसान: किसान योगेश्वर सिंह व कर्मदेव सिंह ने बताया कि पुरखों से मडुआ की खेती होती रही है. बीच के कुछ वर्षों में किसानों का झुकाव धान की खेती की ओर हो जाने के बाद बीज की अनुपलब्धता और जागरूकता के अभाव में भी किसान मोटे अनाज की खेती से भाग रहे हैं. सरकार द्वारा

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