Jivitputrika Vrat 2020 : संतान की दीर्घायु की कामना के साथ महिलाओं का निर्जला उपवास, शुक्रवार को करेंगी पारण

Jivitputrika Vrat 2020, Jitiya vrat 2020 : संतान की दीर्घायु की कामना को लेकर महिलाओं द्वारा जीवित्पुत्रिका व्रत (जिउतिया) लातेहार में हर्षोल्लासपूर्ण से मनाया जा रहा है. गुरुवार को महिलाओं ने उपवास व्रत रखा तथा मंदिरों एवं घरों में भगवान जीमूत वाहन की पूजा-अर्चना की तथा अपने संतान की दीर्घायु का आशीर्वाद मांगा. इस मौके पर वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच अम्बाकोठी देवी मंडप, बाजारटांड शिव मंदिर, राधाकृष्ण मंदिर समेत अन्य मंदिरों में पूजन का आयोजन किया गया. शुक्रवार को महिलाएं पारण करेंगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 10, 2020 5:46 PM

Jivitputrika Vrat 2020, Jitiya vrat 2020 : लातेहार : संतान की दीर्घायु की कामना को लेकर महिलाओं द्वारा जीवित्पुत्रिका व्रत (जिउतिया) लातेहार में हर्षोल्लासपूर्ण से मनाया जा रहा है. गुरुवार को महिलाओं ने उपवास व्रत रखा तथा मंदिरों एवं घरों में भगवान जीमूत वाहन की पूजा-अर्चना की तथा अपने संतान की दीर्घायु का आशीर्वाद मांगा. इस मौके पर वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच अम्बाकोठी देवी मंडप, बाजारटांड शिव मंदिर, राधाकृष्ण मंदिर समेत अन्य मंदिरों में पूजन का आयोजन किया गया. शुक्रवार को महिलाएं पारण करेंगी.

पूजन के उपरांत महिलाओं ने अपने गले में जिउतिया को धारण किया. इस व्रत को लेकर कई गांवों में जतरा मेला का भी आयोजन किया गया. इस व्रत को लेकर बाजार में कंदा, खीरा एवं फल लेनेवालों की विशेष चहल-पहल देखी गयी. इस व्रत में पहले दिन नहाय-खाय के साथ मड़ुआ की रोटी के अलावा सतपुतिया झींगी, खीरा, चना, कांदा, कच्चू आदि सब्जियों का सेवन किया जाता है.दूसरे दिन माताएं निर्जला उपवास करती हैं और फिर तीसरे दिन पारण करती हैं.

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व्रती राजनंदनी, मंजू देवी, पिंकी देवी, रेशमी देवी, शकुंतला देवी, मंजू सिंह, आशा देवी, किरण देवी, प्रमीला देवी, शोभा देवी व सुनीता देवी आदि महिलाओं ने बताया कि अपने संतान की दीर्घायु की कामना को लेकर पुरातन काल से महिलाएं इस व्रत को करती आयी हैं. राजा जीमूत वाहन के समय से यह व्रत प्रचलित हुआ है. इस व्रत में माताएं दिनभर निर्जला उपवास करती हैं एवं आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी को जीवित्पुत्रिका व्रत धारण करती हैं.

निर्जला उपवास के दिन शाम को महिलाएं जीमूत वाहन की पूजा- अर्चना करती हैं. कुशा से निर्मित प्रतिमा पर धूप-दीप, चावल, पुष्प समेत अन्य पूजन सामाग्रियों से पूजन की जाती है. पूजन खत्म होने के बाद माताएं जिउतिया व्रत की कथा सुनती है. माताएं संतानों की लंबी आयु, आरोग्य तथा कल्याण की कामना को लेकर इस व्रत को करती हैं.

Posted By : Samir Ranjan.

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