कमल फूल से भरे कमलदह झील पर्यटकों को कर रहा है आकर्षित
भारत के राष्ट्रीय फूल कमल से लबालब भरे और ऐतिहासिक महत्व को बताने वाले कमलदह झील का सौंदर्य अनुपम है.
प्राकृतिक रूप से पानी का रिसाव सालोंभर रहता है तसवीर-6 लेट-4 व 5 कमलदह झील संतोष कुमार. बेतला. भारत के राष्ट्रीय फूल कमल से लबालब भरे और ऐतिहासिक महत्व को बताने वाले कमलदह झील का सौंदर्य अनुपम है. यही कारण है कि पलामू प्रमंडल के पर्यटन स्थलों में कमलदह झील की बराबरी करने वाला दूसरा कोई नहीं है. बेतला नेशनल पार्क के घने जंगलों की रोमांचकारी यात्रा के बीच जब लोग कमलदह झील तक पहुंचते हैं, तो यहां की खूबसूरत नजारे को देखकर भाव विभोर हो जाते हैं. कमल के फूलों से लबालब होने के कारण ही इसे कमलदह झील का नाम दिया गया था. सैकड़ों साल पहले रहे पलामू के राजाओं के लिए यह झील काफी महत्वपूर्ण था. गर्मियों में जब सभी नदी नाले सूख जाते थे, तो यह झील उनके लिए काफी फायदेमंद साबित होता था. इसका कारण यह था कि इस जीवंत झील का पानी कभी सूखता ही नहीं है. प्राकृतिक रूप से पानी का रिसाव सालोंभर होता है जिससे पानी का लेबल हमेशा बना रहता है और अधिकांश महीने में कमल फूलों के पौधे लहलहाते रहते हैं. प्रसिद्ध राजा मेदिनीराय व उनकी रानी का इस झील से काफी लगाव था. बताया जाता है कि राजा और रानी यहां घंटों समय गुजारते थे. मनोरंजन के लिए तैराकी भी करते थे. इतना ही नहीं राजा मेदिनी के बाद भी अन्य जितने भी राजा हुए थे उनकी रानियां भी कमलदह झील तक आती थी और यहां अपनी सहेलियों के साथ स्नान किया करती थीं. हालांकि कमलदह झील जहां एक ओर खूबसूरती का एक बेहतरीन नमूना है तो वहीं दूसरी ओर यह खतरनाक भी है. इस झील में उतरना मौत को दावत देना है है. अब तक कई ऐसी घटना हो चुकी है जिसमें लोगों ने डूब कर अपनी जान दे दी है. इसलिए पर्यटकों को यहां काफी सावधानी बरतने की जरूरत होती है. बच्चों और महिलाओं के साथ आने पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है. यहां झील में उतरने की इजाजत कतई नहीं दी जाती है. अक्सर दुर्घटना इसलिए हो जाती है. क्योंकि इस यह झील जल के अलावा कमल फूल से भी लबालब भरा होता है.लोग फूल तोड़ने के लिए झील में उतरने का प्रयास करते हैं और डूब जाते हैं. यहां का किनारा काफी दलदली है. बाघिन का था पसंदीदा स्थल कमलदह झील के आसपास घने जंगल है. इस कारण इस इलाके में जंगली जानवरों की मौजूदगी रहती है. पर्याप्त पानी होने के कारण जंगली जानवर यहां पहुंचकर अपनी प्यास बुझाते हैं. वर्षों पहले एक बाघिन ने तो अपना स्थाई बसेरा इस इलाके में बना लिया था. इस कारण उस बाघिन का हमेशा दीदार होता था. प्रवासी पक्षियों का होता है आना जाना कमलदह झील की सबसे बड़ी विशेषता यह भी है कि यहां प्रवासी पक्षियों का आना जाना लगा रहता है. कई वैसे पक्षियों को भी यहां देखा जा सकता है जो किसी विशेष मौसम में दूसरे प्रदेश से यहां आते हैं. कुछ दिन रुकने के बाद फिर वापस लौट जाते हैं. यह झील शोधकर्ताओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र है. यहां साइबेरियन पक्षी, स्लिंग डक , गिज, यूरेशियन गौरैया, नॉर्थन पिनटेल, रोजी पेलिकन, लेजर विसिल डक आदि को आसानी से देखा जा सकता है कैसे पहुंचे कमलदह झील कमलदह झील बेतला नेशनल पार्क गेट से छह किलोमीटर व किला रोड से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों के बीच अवस्थित है. लातेहार से 85 किमी और मेदिनीनगर से इसकी दूरी 30 किलोमीटर है. मेदिनीनगर या रांची से आने के क्रम में दुबिया खाड़ से सीधा बेतला आना होता है. इसके बाद बेतला होते हुए किला रोड में कमलदह झील तक पहुंचा जा सकता है. वही बरवाडीह रेलवे स्टेशन पर आने के बाद कुटमू मोड़ होते बेतला तक जाना होता है.
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