केचकी रेलवे स्टेशन में बुनियादी सुविधाओं का अभाव
अंग्रेजी हुकूमत के दौरान निर्मित केचकी रेलवे स्टेशन का विकास अब तक नहीं हुआ है.
बेतला. देश की आजादी के बाद कई बदलाव हुए. शहर व गांवों का विकास हुआ, लेकिन आजादी से पहले अंग्रेजी हुकूमत के दौरान निर्मित केचकी रेलवे स्टेशन का विकास अब तक नहीं हुआ है. चतरा और पलामू लोकसभा के सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित केचकी स्टेशन दोनों लोकसभा क्षेत्र के लोगों को जोड़ने का काम करता है, बावजूद इसके यह स्टेशन आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है. स्टेशन में पेयजल, शौचालय, प्रकाश और यात्रियों को बैठने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. फुट ओवरब्रिज नहीं होने से हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है. यात्री जान हथेली पर लेकर रेलवे ट्रैक पार कर दूसरी ओर जाते हैं. कई बार स्टेशन पर दो से तीन ट्रेनें खड़ी रहतीं हैं. ऐसे में दूसरे तरफ के प्लेटफार्म पर पहुंचना जोखिम भरा होता है. लंबी दूरी की किसी ट्रेन का यहां ठहराव नहीं है. सिर्फ पैसेंजर ट्रेन का ही यहां ठहराव होता है. रेलवे स्टेशन में सुरक्षा के लिए सिर्फ एक रेलवे पुलिस की चौकी है. रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं रहने की वजह से रात के वक्त यात्रियों को परेशानी होती है. वर्तमान में पड़ रही भीषण गर्मी को देखते हुए प्लेटफार्म पर यात्रियों के बैठने के लिए प्लास्टिक से घेर दिया गया है. केचकी स्टेशन से मात्र नौ किलोमीटर दूर बेतला नेशनल पार्क है. वहां प्रत्येक वर्ष देश-विदेश से एक लाख से भी अधिक पर्यटक आते हैं. इस स्टेशन पर यात्रियों की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण पर्यटक इसका लाभ नहीं ले पाते हैं. पर्यटकों को रांची अथवा दूसरे रेलवे स्टेशन पर उतरकर सड़क मार्ग से बेतला आना पड़ता है.
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