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नक्सल प्रभावित चोरहा गांव को आज तक एक चापाकल नसीब नहीं, एकमात्र कुएं से 50 परिवार बुझा रहे अपनी प्यास

Jharkhand news, Latehar news : लातेहार जिला का अति नक्सल प्रभावित गारू प्रखंड स्थित चोरहा गांव के 50 घर के 200 से अधिक आबादी पीने की पानी के लिए एक कुआं पर आश्रित है. चोरहा गांव जिला मुख्यालय से 30 तथा प्रखंड मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर है. घने जंगल में बसे चोरहा गांव में आदिम जनजाति परहिया और आदिवासी समाज के लोग निवास करते हैं. गांव के बीचों-बीच एकमात्र कुआं है जिससे पूरा गांव पानी का उपयोग करते है. गांव के लोग अपने पीने तथा अन्य उपयोग के लिए इसी कुआं पर निर्भर हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 23, 2020 4:55 PM

Jharkhand news, Latehar news : लातेहार (चंद्रप्रकाश सिंह) : लातेहार जिला का अति नक्सल प्रभावित गारू प्रखंड स्थित चोरहा गांव के 50 घर के 200 से अधिक आबादी पीने की पानी के लिए एक कुआं पर आश्रित है. चोरहा गांव जिला मुख्यालय से 30 तथा प्रखंड मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर है. घने जंगल में बसे चोरहा गांव में आदिम जनजाति परहिया और आदिवासी समाज के लोग निवास करते हैं. गांव के बीचों-बीच एकमात्र कुआं है जिससे पूरा गांव पानी का उपयोग करते है. गांव के लोग अपने पीने तथा अन्य उपयोग के लिए इसी कुआं पर निर्भर हैं.

चोरहा गांव दूर तक फैला है जिसके कारण दूर वाले परिवार को पानी लाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. सबसे अधिक परेशानी बरसात के दिनों में होती है. बरसात में इस कुआं तक जाने वाली पहुंच पथ भी खराब हो जाता है. ग्रामीण विजयंती देवी बताती हैं कि गांव में आज तक एक भी चापाकल नहीं लगा है. काफी पहले से बनाये गये एक कुआं के सहारे ही सभी लोग पानी पीते हैं. किसी काम से गारू जाते हैं, तो देखते है कि कई जगह सोलर आधारित पानी टंकी लगा हुआ है, लेकिन हमारे गांव में यह भी नहीं है.

नक्सल प्रभावित चोरहा गांव को आज तक एक चापाकल नसीब नहीं, एकमात्र कुएं से 50 परिवार बुझा रहे अपनी प्यास 2

ग्रामीण पणपति देवी कहती हैं कि इस गांव में सभी लोग इसी कुआं से पानी लाकर अपना काम चलाते हैं. गांव में कोई अधिकारी भी कभी नहीं आते हैं. बरसात में अधिक परेशानी होती है, क्योंकि जंगल का इलाका होने के कारण महिलाओं को खेत पार कर कुआं तक जाना पड़ता है.

ग्रामीण रवींद्र उरांव कहते हैं कि गांव में हमारे पूर्वजों ने काफी पहले कुआं का निर्माण कराया था. आज वही कुआं हमारे जीवन का एकमात्र सहारा बना हुआ है. यही कुआं आज लोगों की प्यास बुझा रही है.

पेयजल विभाग के कार्यपालक अभियंता जितेंद्र कुमार कुजूर ने इस संबंध में कहा कि ग्रामीणों के द्वारा कोई आवेदन नहीं मिला है, लेकिन गांव में एक ही कुआं है, तो जरूरत के हिसाब से चापाकल जरूर लगाया जायेगा.

Posted By : Samir Ranjan.

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