कुजरूम गांव को पुनर्वासित करने की प्रक्रिया शुरू
झारखंड में पहली बार जंगल क्षेत्र में बसे गांव के लोगों को उनके पैतृक गांव से हटाकर जंगल से बाहर बसाने की मुहिम शुरू की गयी है
संतोष कुमार:बेतला
झारखंड में पहली बार जंगल क्षेत्र में बसे गांव के लोगों को उनके पैतृक गांव से हटाकर जंगल से बाहर बसाने की मुहिम शुरू की गयी है. विभागीय पदाधिकारी के अथक प्रयास के बाद अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र बूढ़ा पहाड़ के समीप घने जंगल और पहाड़ों के बीच सुविधा विहीन लातेहार जिले के गारू प्रखंड के कुजरूम गांव के लोग स्वेच्छा से गांव छोड़ रहे हैं. 100 वर्षों से अधिक समय से निवास करने वाले आदिवासी लोगों को करीब 50 किलोमीटर दूर मेदिनीनगर मुख्यालय के करीब पलामू जिले के पोलपोल में बसाया जा रहा है. झारखंड में जंगल क्षेत्र के बीचों-बीच निवास करने वाले लोगों को विस्थापन करने की यह पहली प्रक्रिया है. ब्रिटिश शासन काल में बसे कुजरूम गांव के लोगों को 1974 में पलामू टाइगर रिजर्व के स्थापना के बाद कोर एरिया में होने व वन्यप्राणी संरक्षण के नियमों के कारण किसी प्रकार का सरकारी लाभ नहीं मिल रहा था.पक्की संरचनाओं के निर्माण व बिजली की सुविधा नहीं दी जा सकती थी. पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू होने के बाद वन अधिकारियों के द्वारा पुनर्वासित होने वाले लोगों को रैयती भूमि, 800 वर्ग फीट का पक्का मकान, बिजली, पानी, सिंचाई, अच्छी शिक्षा एवं चिकित्सा, रोजगार सहित अन्य सुविधाएं दी जा रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पलामू दौरे के क्रम में कुजरूम से पुनर्वासित होने वाले ग्राम प्रधान लल्लू उरांव सहित छह लोगों को दो हेक्टर रैयती भूमि और 15 लाख रुपये का बैंक सर्टिफिकेट (फिक्सड डिपोजिट) प्रदान कर इसका शुभारंभ कर दिया है. इस कारण कुजरूम से पुनर्वासित होने वाले लोगों को वन विभाग के प्रति विश्वास बढ़ा है. 23 परिवार के लोगों पलामू के पोलपोल में रहने इच्छा जतायी है. ब्रिटिश शासन के दौरान बसे कुजरूम गांव से ग्रामीणों का पुनर्वासित की प्रक्रिया शुरू होने से पलामू टाइगर रिजर्व में बाघ सहित अन्य जंगली जानवरों के संरक्षण और संवर्धन में आने वाले सभी अड़चनों को दूर होने की संभावना है.ग्रामीणों के स्वैच्छिक पुनर्वासन हेतु सरकार के द्वारा निर्गत दिशा-निर्देश का अनुपालन करने की बात की जा रही है .
2017 में भेजा गया था पुनर्वास का प्रस्ताव
2017 में वन विभाग द्वारा पलामू टाइगर रिजर्व में मौजूद आठ गांवों के विस्थापन एवं पुनर्वास के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था. 2019 में लाटू और कुजरूम में पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू की गयी. हालांकि अधिकांश गांव के लोगों ने इसका पुरजोर विरोध किया. लेकिन लाटू और कुजरूम गांव के लोगों ने उज्ज्वल भविष्य का सपना दिखाने के बाद वन विभाग के इस प्रस्ताव को स्वीकार किया गया. हालांकि अभी भी कुजरूम के कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं.बुनियादी सुविधाओं का अभाव झेल रहे हैं ग्रामीण
पलामू टाइगर रिजर्व के तहत आने वाले लाटू और कुजरूम में अनुसूचित जनजाति एवं आदिम जनजाति के लोग रहते हैं. इन गांवों तक न सड़क जाती और न ही बिजली. बाढ़ेसाढ़ के मुख्य मार्ग तक आने के लिए इन गांवों के ग्रामीणों को करीब 10 किमी का लम्बा सफ़र पैदल तय करना पड़ता है. बारिश के मौसम में इन गांवों को जोड़ने वाली कच्ची सड़क बेकार हो जाती है. इन गांवों में न तो स्वास्थ्य केंद्र है और ना ही मोबाइल फोन सिग्नल. इस कारण इन गांव का विकास नहीं हो सका. इसलिए वन विभाग के पदाधिकारी के द्वारा यह सुझाव दिया गया कि यदि वह कुजरूम गांव को छोड़ते हैं तो पुनर्वासित होने वाले लोगों को पांच एकड़ ज़मीन का खतियानी हक दिलाने के साथ, मकान , बिजली,सड़क, पेयजल, शौचालय, मोबाइल टावर आदि उपलब्ध कराया जायेगा.
पीटीआर से गांव हटाने पर स्वतंत्र रूप से विचरण करेंगे बाघ
1129 वर्ग किलोमीटर पहले पलामू टाइगर रिजर्व के कोर और बफर एरिया में आठ गांव मौजूद हैं. विभागीय पदाधिकारी के अनुसार वन्य प्राणियों के संरक्षण और संवर्धन में ग्रामीणों के हस्तक्षेप से परेशानी होती है. यदि इन गांवों के लोगों को पुनर्वासित कर दिया जाये, तो जंगल पूरी तरह से जनविहीन हो जायेगा और इसका सीधा लाभ जंगली जानवरों को मिलेगा. बाघ सहित अन्य जंगली जानवर स्वतंत्र रूप से विचरण कर सकेंगे
दक्षिणी प्रमंडल को 26 करोड़ रुपये का मिला है आवंटन
पीटीआर दक्षिणी प्रमंडल में बसे कुजरूम के अलावा लाटू एवं जयगीर के क्रमशः 120. 90 एवं 60 लाभुको के लिए आवश्यक 26 करोड़ का आवंटन प्राप्त है. पुनर्वास के लिए चयनित पलामू जिले के पोलपोल में 133.84 हेक्टेयर वनभूमि व लातेहार जिले के लाई पैलापाथल के 100 हेक्टेयर में कार्य करने की स्वीकृति प्राप्त है. वर्तमान समय में पलामू जिले के पोलपोल कलां में कार्य प्रगति पर है. लातेहार जिले के लाई पैलापाथल में स्थानीय लोगों के विरोध के कारण पुनर्वास कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया है. वहीं उत्तरी प्रमंडल के नवरनागो, तनवई, पोलपोल, चपिया एवं टोटकी का पुनर्वास कार्य हेतु आवश्यक 64.50 करोड राशि की मांग कैम्पा मद से की गयी है.
कुजरूम के ग्राम प्रधान लल्लू उरांव ने कहा कि दिसंबर 2019 में पुनर्वास की प्रक्रिया प्रारंभ की गयी थी. ग्रामीणों के द्वारा स्वयं पुनर्वास के स्थल कर चयन किया. मुख्यमंत्री से सर्टिफिकेट प्राप्त करने के बाद कुजरूम एवं पलामू टाइगर रिर्जय के अन्य ग्रामीण उत्साहित है.
क्या कहते हैं डिप्टी डायरेक्टर पलामू टाइगर रिर्जव के डिप्टी डायरेक्टर कुमार आशीष ने कहा कि वर्तमान में तीन गांव कुजरूम लाटू एवं जयगीर के पुनर्वास की प्रक्रिया चल रही है. पुनर्वास के संबंध में कोर क्षेत्र में बसे अन्य ग्रामीणों को जानकारी दी जा रही है. ग्रामीणों के बेहतर भविष्य के लिए राज्य सरकार के निर्देशानुसार पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारी काम कर रहे है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है