बेतला. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत कार्यरत वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) के साथ वन विभाग की टीम द्वारा जमशेदपुर से तेंदुआ की खाल बरामद किये जाने के बाद से पीटीआर के पदाधिकारियों की नींद उड़ गयी है. हालांकि मामला पीटीआर के बाहर का और छह वर्ष पुराना बताया जा रहा है, लेकिन पीटीआर प्रबंधन की बेचैनी बढ़ी हुई है. वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो द्वारा आरोपी से पूछताछ की प्रक्रिया जारी है. इसे देखते हुए वरीय पदाधिकारियों द्वारा हाई अलर्ट जारी करते हुए सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत कर दिया गया है. इस मामले में अब तक आठ लोगों को जेल भेजा जा चुका है, लेकिन अभी भी इस गिरोह का मुख्य सरगना पकड़ से बाहर है. झारखंड में सिर्फ पीटीआर और इससे सटे हुए पलामू, गढ़वा और लातेहार में तेंदुआ के मौजूद होने के सबूत मिलते हैं. विभागीय आंकड़ों के अनुसार पीटीआर में 60 से अधिक तेंदुआ मौजूद हैं. घटना की पुनरावृत्ति न हो इस पर गहनता से पड़ताल शुरू की गयी है. तस्करों से कड़ाई से पूछताछ की गयी है. यह जानने का प्रयास किया गया कि पीटीआर में भी तो शिकार नहीं किया गया. तेंदुआ की खाल के मामले में गिरफ्तार तस्करों ने स्वीकार किया है कि वे लोग पिछले 20 वर्षों से तेंदुआ के शिकार में सक्रिय थे. इसको लेकर ये आशंका जतायी जा रही है कि और तेंदुआ की खाल पलामू, गढ़वा और लातेहार के इलाके से हो सकती है. इसके लिए विभागीय पदाधिकारियों ने गहनता से जांच शुरू कर दी है. ज्ञात हो कि वर्ष 2014-15 में पलामू के इलाके से पीटीआर की टीम ने तेंदुआ की खाल बरामद की थी. इसके बाद यह दूसरा मामला है, जब झारखंड में तेंदुआ का खाल बरामद हुआ है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है