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190 साल से लातेहार में निकल रही है रथयात्रा

आषाढ़ माह में भगवान श्रीजगन्नाथ, बहन सुभद्रा व भाई बलभद्र की रथयात्रा सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है.

लातेहार. आषाढ़ माह में भगवान श्रीजगन्नाथ, बहन सुभद्रा व भाई बलभद्र की रथयात्रा सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. लातेहार में रथयात्रा का इतिहास 190 वर्ष पुराना है. रथयात्रा महोत्सव प्रत्येक वर्ष आषाढ़ माह के शुक्लपक्ष की द्वितीय तिथि को पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. बताया जाता है कि लातेहार में मंगलवारीय बाजारटांड़ स्थित प्राचीन शिव मंदिर से महंत पूरन दास जी महाराज ने वर्ष 1833 में रथयात्रा की शुरूआत की थी. वर्ष 1994 तक प्राचीन शिव मंदिर से ही भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा व बलभद्र के विग्रहों को रथ पर आरूढ़ कर यह रथयात्रा निकाली जाती थी. महंत पूरन दास जी महाराज के निधन के बाद उनके वंशज महंत शरण दास, महंत जनक दास, महंत यदुवंशी दास व महंत मुनी दास जी महाराज ने यह जिम्मेवारी संभाली.

वर्ष 1995 से ठाकुरबाड़ी से निकाली जा रही है रथयात्रा

वर्ष 1995 में लातेहार शहर के मेन रोड में ठाकुरबाड़ी का निर्माण किया गया, जिसमे स्थानीय लोगों की सहमति के बाद ठाकुरबाड़ी से भगवान रथयात्रा निकाली जाने लगी. यहां वर्ष 1995 से ही योगेश्वर प्रसाद अपनी पत्नी के साथ पूजन-अर्चन करते आ रहे हैं. रथ खींचने के लिए लातेहार के विभिन्न स्थानों से श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है. इस वर्ष भी योगेश्वर प्रसाद अपनी पत्नी के साथ पूजन-अर्चना करेंगे. श्री प्रसाद ने बताया कि रथयात्रा की तैयारी पूरी कर ली गयी है. शनिवार की रात भगवान श्री जगन्नाथ, सुभद्रा व बलराम का नेत्रदान होगा. इसके बाद ठाकुरबाड़ी में रविवार दोपहर एक बजे से पूजा होगी. पूजा के बाद दोपहर तीन बजे रथयात्रा निकाली जायेगी.

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