कुजरूम गांव की पुनर्वास प्रक्रिया पर लगा ग्रहण

पलामू टाइगर रिजर्व में मौजूद बाघों सहित अन्य वन्य प्राणियों को संरक्षण और संवर्धन में कोई व्यवधान नहीं हो, इसके लिए रिजर्व एरिया में मौजूद गांव को पुनर्वासित करने की प्रक्रिया पर ग्रहण लग गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 24, 2024 9:15 PM

बेतला. पलामू टाइगर रिजर्व में मौजूद बाघों सहित अन्य वन्य प्राणियों को संरक्षण और संवर्धन में कोई व्यवधान नहीं हो, इसके लिए रिजर्व एरिया में मौजूद गांव को पुनर्वासित करने की प्रक्रिया पर ग्रहण लग गया है. कुजरूम गांव में 56 परिवारों को पुनर्वासित करने की योजना है, जिसमें 23 परिवार वन विभाग के नियम और शर्तों का अनुपालन करते हुए पुनर्वासित होने के लिए तैयार हैं, जबकि 33 परिवार पुनर्वास योजना का विरोध कर रहे हैं. इस कारण पिछले पांच वर्ष से चल रही पुनर्वास की प्रक्रिया रुक गयी है. कुजरूम गांव के ग्राम प्रधान ललू उरांव को डिप्टी डायरेक्टर द्वारा पत्र लिखकर ग्रामसभा कर यह रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है कि कितने लोग पुनर्वास के लिए तैयार हैं और कितने लोग नहीं है. जो लोग पुनर्वास के लिए तैयार नहीं हैं, उनके लिए पुनर्वास योजना के तहत मिलने वाली राशि को सरकार को लौटाने के लिए पीटीआर के डिप्टी डायरेक्टर द्वारा वरीय अधिकारियों को पत्र लिखा गया है.

2019 में शुरू की गयी थी पुनर्वास की प्रक्रिया

पलामू टाइगर रिजर्व के बीहड़ जंगल के बीच कुजरूम-लाटू गांव के पुनर्वास के बारे में चर्चा बहुत पहले से शुरू की गयी थी, लेकिन वास्तविक पुनर्वास की प्रक्रिया 2019 में शुरू की गयी. विभागीय पदाधिकारी के प्रयास के बाद कुजरूम लोगों के द्वारा अगस्त 2019 में पुनर्वास हेतु सहमति दी गयी थी. पीटीआर प्रबंधन के द्वारा पुनर्वास के लिए राशि और भूमि उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार के नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) को प्रस्ताव भेजा गया था. इसके बाद 2020 में एनटीसीए द्वारा राज्य सरकार को पैसा भेज दिया गया, लेकिन कोविड के कारण पैसा को वापस कर दिया गया. पुनः पीटीआर प्रबंधन द्वारा 2021 में पैसा मांगे जाने के बाद एनटीसीए के द्वारा राज्य सरकार को दिया गया. इसके बाद राज्य सरकार ने पीटीआर प्रबंधन को दिया. वहीं भूमि से संबंधित कार्य का अंतिम रूप अप्रैल 2024 में पूरा हो सका. इसके बाद कुजरूम के लोगों को पुनर्वासित करने का प्रयास किया गया. उनमें से कुछ लोग स्वेच्छा से पलामू के पोलपोल गांव जंगल में पहुंचे. लोगों को भूमि का मालिकाना हक देते हुए आवास निर्माण सहित अन्य कार्य शुरू भी कर दिया गया, लेकिन इस बीच कुजरूम के 33 परिवार के लोगों द्वारा इसका विरोध शुरू कर दिया गया, जिसके कारण प्रक्रिया अधर में लटक गयी है.

क्या कहते हैं डिप्टी डायरेक्टर

पीटीआर डिप्टी डायरेक्टर कुमार आशीष ने कहा कि पुनर्वास की प्रक्रिया जंगल और जानवर के हित के अलावा पुनर्वासित होने वाले लोगों को अधिक-से-अधिक लाभ पहुंचाना है. पुनर्वासित होने वाले भूमिहीनों को भूमि का मालिकाना हक सहित अन्य लाभ मिल सकेगा. अफसोस है कि जो लोग विरोध कर रहे हैं उन तक वन विभाग सही मैसेज पहुंचने में असफल रहा है. स्वेच्छा से ही पुनर्वास किया जा सकता है. जो लोग पुनर्वासित नहीं होना चाहते हैं, उनके लिए प्राप्त राशि को सरकार को लौटा दिया जायेगा.

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