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खाते में राशि होने के बावजूद उपयोग नहीं कर कर पा रहे हैं पशुधन विकास योजना के चयनित लाभुक

मजे की बात यह है कि यह योजना शेड (मनरेगा से) नहीं बनने के कारण मार्च माह से लटकी है. वहीं अयोग्य लाभुकों से भी पैसे लेकर पशु शेड योजना देने का मामला पिछले माह चंदवा समेत अन्य प्रखंड से सामने आया था. इसके बाद उपायुक्त ने पूरे जिले में इसको रोक कर जांच का आदेश दिया था.

लातेहार : अधिकारियों में आपसी तालमेल नहीं होने व उदासीनता से मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना का लाभ स्थानीय लाभुकों को नहीं मिल रहा है. इस योजना के चयनित लाभुकों के खाते में राशि स्थानांतरित होने के बाद भी वे इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में ग्रामीणों को अनुदान पर पशु देकर स्वावलंबी बनानेवाली यह महत्वाकांक्षी योजना प्रखंड में दम तोड़ती दिख रही है.

मजे की बात यह है कि यह योजना शेड (मनरेगा से) नहीं बनने के कारण मार्च माह से लटकी है. वहीं अयोग्य लाभुकों से भी पैसे लेकर पशु शेड योजना देने का मामला पिछले माह चंदवा समेत अन्य प्रखंड से सामने आया था. इसके बाद उपायुक्त ने पूरे जिले में इसको रोक कर जांच का आदेश दिया था.

क्या है मामला:

मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के लिए पूर्व में प्रखंड के विभिन्न गांवों से लाभुकों का चयन किया गया था. गांव में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को स्वावलंबी बनाने के लिए लाभुकों को अनुदान पर पशु देने की योजना विभाग ने बनायी थी. चंदवा प्रखंड में बकरी के लिए 22, सूकर के लिए नौ, मुर्गी (ब्वॉयलर) के 14 व (लेयर) के लिए छह लाभुकों का चयन किया गया था.

इस प्रकार इस योजना में गव्य हेतु दो गाय के लिए 25 व पांच गाय के लिए तीन लाभुकों का चयन किया गया था. इनमें बकरी के 22, सुकर के पांच, मुर्गी (ब्वॉलयर) के सात व (लेयर) के तीन लाभुक के खाते में राशि हस्तांतरित कर दी गयी है. बतख चूजा व बकरी हेतु पशु शेड की जरूरत नहीं होने से कुछ लाभुकों को विभाग द्वारा उक्त पशुधन अनुदान पर दिये गये हैं. अन्य पशुओं के लिए पशु शेड होना जरूरी है. योजना में शेड मनरेगा योजना द्वारा बनायी जानी है.

शेड नहीं बनने से लाभुकों को पशु नहीं मिल रहे हैं. इससे यह योजना अधर में लटकी पड़ी है. इस संबंध में पशु चिकित्सक डॉ अजय कुमार ने बताया कि मार्च माह में ही अनुदान की राशि कई लाभुकों के खाते में भेजी जा चुकी है. इस योजना में प्रखंड प्रशासन की पहल पर मनरेगा से पशु शेड का निर्माण कर लाभुकों को देना है. इसके लिए जिला पशुपालन पदाधिकारी व जिला गव्य विकास पदाधिकारी की पहल पर मार्च माह में ही प्रखंडवार लाभुकों की सूची सौंप दी गयी है. इसके बाद भी कई बार प्रखंड प्रशासन को जानकारी दी गयी, पर शेड निर्माण नहीं हो पाया. शेड नहीं बनने से लाभुकों को योजना का लाभ नहीं दे पा रहे हैं.

मनरेगा बीपीओ ने कहा

मनरेगा बीपीओ रतन शाहदेव ने कहा कि इस संबंध में मुझे कोई पत्र व जानकारी नहीं मिली है. अगर पत्र होगा भी तो बीडीओ साहब के पास हो सकता है. सीओ सह प्रभारी बीडीओ सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि सभी पंचायत सचिव को लाभुकों की जांच की जिम्मेदारी दी गयी है, जो योग्य लाभुक होंगे, उन्हें योजना का लाभ दिया जायेगा.

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