छोटू के कारण पूरा परिवार होता रहा प्रताड़ित
छोटू खरवार के भाकपा माओवादी में शामिल होने की कहानी भी दिलचस्प है. छोटू माओवादी बाल दस्ता में सबसे पहले शामिल हुआ था.
लातेहार. छोटू खरवार के भाकपा माओवादी में शामिल होने की कहानी भी दिलचस्प है. छोटू माओवादी बाल दस्ता में सबसे पहले शामिल हुआ था. वर्ष 2009-10 से सभी भाइयों और परिजनों ने उससे दूरी बना ली थी. इसके बाद पत्नी अपने बच्चों का लालन-पालन खुद करने लगी. उसके भाई बालकिशुन और सुनील गांव में मजदूरी करने लगे. काम नही मिलने पर बाहर जाकर भी कमाने लगे थे. छोटू के संगठन में रहने के कारण परिजनों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. टीपीसी के उग्रवादियों ने कई बार उसके घर पर धावा बोला और भाइयों को प्रताड़ित किया. बालकिशुन सिंह व बालमोहन सिंह के अनुसार छोटू के कारण उन्हें यातनाएं सहनी पड़ी है. कई बार टीपीसी के लोग घर से उठाकर ले गये और उनके साथ मारपीट की. इस कारण वे बाहर मजदूरी करने चले जाते थे. ससुराल के लोगों ने सदी थी सरेंडर करने की सलाह: छोटू खरवार के ससुराल के लोग उसे लगातार सरेंडर करने को कहते थे, लेकिन छोटू ने इसकी परवाह नहीं की. छोटू के साले महेश सिंह व लालदेव सिंह ने बताया कि दो साल पहले भी पांकी क्षेत्र में मिलकर उन्हें राज्य सरकार की आत्मसमर्पण नीति का लाभ लेने को कहा था. लेकिन छोटू ने कहा कि उसकी पत्नी को एनआइए ने गिरफ्तार किया है. पहले एनआइए उसे छोड़ेगा, उसके बाद ही वह सरेंडर करेगा. ज्ञात हो कि छोटू खरवार की पत्नी ललिता देवी को टेंडर फंडिंग के मामले में एनआइए ने वर्ष 2019 में गिरफ्तार किया था. ललिता देवी वर्तमान में रांची के होटवार जेल में बंद है.
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