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उदालखाड़ गांव में न सड़क है, न बिजली है न पानी

प्रखंड मुख्यालय से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित परहाटोली पंचायत के उदालखाड़ गांव में आज भी लोग बुनियादी सुविधा के लिए तरस रहे हैं.

महुआडांड़. प्रखंड मुख्यालय से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित परहाटोली पंचायत के उदालखाड़ गांव में आज भी लोग बुनियादी सुविधा के लिए तरस रहे हैं. उदालखाड़ गांव में 45 घर हैं, जहां 200-300 लोग रहते है. आजादी के सात दशक बाद भी इस गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है. बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. गांव पहुंचने से पहले एक नदी पड़ती है, जिस पर आज तक पुल नहीं बना है. नदी पर पुल नहीं बनने से बरसात में गांव टापू बन जाता है. बरसात के मौसम में अगर कोई बीमार हो जाये, तो उसे बहंगी से मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है. गांव में विद्यालय है, लेकिन स्कूली बच्चे बरसात के मौसम में ज्यादातर छुट्टी मनाते हैं, क्योंकि बरसात में नदी में अधिक पानी रहता है. इस वजह से शिक्षक विद्यालय नहीं आ पाते हैं. भीषण गर्मी में उदालखाड़ गांव के लोग नदी का पानी से अपनी पेयजल की जरूरतों को पूरा करते है. रामचंद्र यादव, जोहन खलखो, हरिहर खलखो, हल्दी यादव, अरुण यादव, श्रवण यादव, रामजी यादव, सुरेंद्र मुंडा, प्रदीप कोरवा, लालदेव कोरवा, हमशू कोरवा, बीरेंद्र कोरवा, लाल मनी, अनिता, प्रमिला देवी, सबिता देवी, अनुराधा देवी, किरण देवी व जाशो देवी ने कहा कि गांव में नल जल योजना के तहत लगी दो जलमीनार कई माह से खराब है. पूर्व में लगा चापानल भी दम तोड़ चुका है. पूरा गांव नदी के पानी पर आश्रित है. ग्रामीणों ने दो दिन पूर्व अनुमंडल कार्यालय में आवेदन देकर गांव की समस्या से अवगत कराते हुए बुनियादी सुविधा बहाल कराने का अनुरोध किया था, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हुई है.

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