जुबली चौक रोड का चौड़ीकरण कार्य 11 वर्ष से लंबित
जिला मुख्यालय को हेरहंज-बालूमाथ से सीधे जोड़ने वाला लातेहार-हेरहंज भाया नवादा पथ का चौड़ीकरण कार्य वर्ष 2013 से लंबित पड़ा हुआ है.
चंद्रप्रकाश सिंह, लातेहार : जिला मुख्यालय को हेरहंज-बालूमाथ से सीधे जोड़ने वाला लातेहार-हेरहंज भाया नवादा पथ का चौड़ीकरण कार्य वर्ष 2013 से लंबित पड़ा हुआ है. आये दिन वाहन सड़क संकीर्ण होने के कारण फंसते रहते हैं. भवन निर्माण विभाग की शिथिलता के कारण अधिग्रहित भूमि पर स्थित भवनों की लागत की गणना नहीं हो पा रही है, जिसकी वजह से अधिग्रहण की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है. अधिसूचना संख्या 30/2013 के तहत झारखंड गजट में राज्यपाल के आदेश पर उक्त पथ में प्रवेश करते ही जुबली मोड स्थित पांच रैयतों की भूमि अधिग्रहित करने का विशेष नोटिफिकेशन जारी किया गया था, जिसमें रैयत चमना देवी, गणेश साहू, गौरी साहू, रघुवर साहू व नेपाल साहू को नोटिस भी जारी किया जा चुका है. खाता संख्या 84,13, 19 व 78 व सात स्थित 41 डिसमिल जमीन की विशेष अधिग्रहण का प्रस्ताव अखबारों में प्रकाशित किया गया था. अपर समाहर्ता द्वारा नियम दो (एक )(ख) के तहत प्रशासक नियुक्त कर अधिग्रहित भूमि पर स्थित भवनों को खाली कराने का आदेश भी निर्गत किया जा चुका था. 27 फरवरी 2020 को लातेहार की भू अर्जन शाखा के पत्रांक 87 द्वारा उक्त भूमि की अधिग्रहण की कार्रवाई जारी की गयी है, तब से उक्त अधिग्रहण की भूमि की खरीद बिक्री पर पूर्णत रोक लगी हुई है. वहीं नोटिस मिलने के बाद रैयत अपने घर का रंग रोगन भी नहीं कर पा रहे हैं.
शहर की सबसे व्यस्त सड़क है जुबली रोड
शहर के बीचों बीच होने के कारण जुबली रोड सबसे व्यस्त सड़क बन गया है. जुबली मोड़ पर प्रतिदिन एम्बुलेंस, सरकारी स्कूलों के वाहन व कई आवश्यक सेवाओं के वाहन फंस रहे हैं. जाम के कारण यहां पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है. गौरतलब हो कि इस मार्ग पर जिले की सबसे बड़ी तुवेद कोल परियोजना व मगध आम्रपाली कोल परियोजना स्थित है. जिले में विधानसभा में मतों की गणना का कार्य इसी मार्ग पर स्थित राजकीय पॉलिटेक्निक सभागार में होता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता अरविंद कुमार ने कहा कि उक्त अधिकृत भूमि पर कुछ भवन निर्मित है, जिनकी लागत की गणना के लिए 14 अगस्त 2019 को भवन निर्माण विभाग को स्मार पत्र भेजा गया है, लेकिन भवन निर्माण विभाग द्वारा भवनों की लागत की गणना उपलब्ध नहीं कराये जाने की वजह से आगे की कार्रवाई नहीं हो पा रही है. उन्होंने बताया कि भू अर्जन को रैयतों को दिये जाने वाली राशि 4 करोड़ 59 लाख रुपया वर्ष 2019 में ही उपलब्ध करा दी गयी है.
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