जीत-हार की चर्चा में टूटने लगी है सामाजिक मर्यादा

लोहरदगा : मतगणना में अब सिर्फ एक दिन बचा है और जैसे-जैसे मतगणना का समय नजदीक आ रहा है. वैसे-वैसे चर्चा का बाजार भी गर्म होता जा रहा है. जीत- हार पर लाखों रुपये के सट्टे लगाये गये हैं. एक ओर जहां एग्जिट पोल देख कर भाजपा समर्थकों में खुशी की लहर है वहीं महागठबंधन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 22, 2019 12:36 AM

लोहरदगा : मतगणना में अब सिर्फ एक दिन बचा है और जैसे-जैसे मतगणना का समय नजदीक आ रहा है. वैसे-वैसे चर्चा का बाजार भी गर्म होता जा रहा है. जीत- हार पर लाखों रुपये के सट्टे लगाये गये हैं. एक ओर जहां एग्जिट पोल देख कर भाजपा समर्थकों में खुशी की लहर है वहीं महागठबंधन के लोग इसे सीरे से खारीज कर रहें हैं. उम्मीदवारों से ज्यादा बेचैनी उनके समर्थकों में देखी जा रही है.

चर्चा में तो लोग कहीं-कहीं सामाजिक मर्यादा भी भूलने लगे हैं. चौक-चौराहों से लेकर सरकारी कार्यालयों में भी जीत-हार की ही चर्चा हो रही है. बाजार, चाय-पान की दुकान हर जगह राजनीतिक चर्चा ही होते नजर आती है. लोग मिशन चौक पर बैठ कर किसी को भी जीता दे रहे हैं तो किसी को भी हरा दे रहे हैं. इतना ही नहीं दिल्ली में भी सरकार बना दे रहें हैं लेकिन हकीकत में नहीं, बातों में. 23 मई का इंतजार लोगों को भारी पड़ रहा है. तमाम लोग तरह-तरह के अटकलें लगा रहे हैं.
हर कोई राजनीतिक पंडित की तरह दलील दे रहा है. भीतरघात करनेवालों तथा विभिषणों की चर्चा भी सरेआम हो रही है. कौन एक पार्टी में रहते हुए दूसरे पार्टी के लिए जानकारी पहुंचायी और वहां से इसके एवज में क्या मिला. सब कुछ खुल कर सामने आ गया है.
हालांकि 23 मई को मतगणना गुमला में होनी है. लेकिन लोहरदगा से काफी संख्या में लोग गुमला जाने के लिए तैयार बैठे हैं. भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के कार्यकर्ता लोहरदगा में जबर्दस्त तरीके से उत्साहित हैं. सभी अपने-अपने उम्मीदवार के जीते के दावे कर रहे हैं. उम्मीदवार भले ही होठों पर मुस्कान लिए है लेकिन उनके दिल में क्या गुजर रही है ये तो वे ही जान रहे हैं.
न दिन में चैन है और न रात में आराम. नींद में ही सपने आ रहे हैं. कभी अच्छे तो कभी बुरे. धर्मिक अनुष्ठान भी कराये जा रहे हैं. पंडितों से भी ग्रह-नक्षत्र दिखाये जा रहें है. पंडित जी भी ठहरे आधुनिक और वे हाथ की रेखाओं के बजाय चेहरे को पढ़ कर भविष्य बता रहे हैं और लाभ ले रहे हैं.

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