सूचना मिलते ही कई संचालक भागे
निरीक्षण के क्रम में देखा गया कि अस्पताल कामोटिव क्या है सरकार द्वारा जो सुविधाएं या अहर्ता निर्धारित की गयी है वो यहां मेंटेन किया जा रहा है या नहीं. लोहरदगा :जिले में क्लिनिकल स्टेबलिस्टमेंट एक्ट के तहत नर्सिग होम का आचौक निरीक्षण किया गया. सदर अस्पताल के उपाधिक्षक डॉ शंभू नाथ चौधरी के नेतृत्व […]
निरीक्षण के क्रम में देखा गया कि अस्पताल कामोटिव क्या है
सरकार द्वारा जो सुविधाएं या अहर्ता निर्धारित की गयी है वो यहां मेंटेन किया जा रहा है या नहीं.
लोहरदगा :जिले में क्लिनिकल स्टेबलिस्टमेंट एक्ट के तहत नर्सिग होम का आचौक निरीक्षण किया गया. सदर अस्पताल के उपाधिक्षक डॉ शंभू नाथ चौधरी के नेतृत्व में इस टीम ने शहरी क्षेत्र में स्थित भद्रा क्लिनिक, लाइफ केयर अस्पताल तथा न्यू राज अस्पताल का औचक निरीक्षण किया. इस टीम ने निरीक्षण के क्रम में देखा कि अस्पताल का मोटीव क्या है? सरकार द्वारा जो सुविधाएं या अहर्ता निर्धारित की गयी है वो यहां मेंटेन किया जा रहा है या नहीं.
किसी तरह की कमी पाये जाने पर इस टीम द्वारा कार्रवाई के लिए डीसी की अध्यक्षता में गठित कमेटी को लिखा जायेगा. औचक निरीक्षण के क्रम में मिशन चौक स्थित भद्रा क्लिनिक में पाया गया कि यहां डॉ एसी भद्रा को आयुर्वेदिक इलाज करने की अनुमति प्राप्त है लेकिन वे धड्डले से एलोपैथिक दवाएं लिख रहे थे. टीम ने उन्हें फटकार लगायी. इसी तरह लाइफ केयर अस्पताल में कोई चिकित्सक नहीं पाये गये, न ही संचालक ही वहां मौजूद थे.
टीम ने जो खामियां पायी है उसे उपायुक्त की अध्यक्षता में 10 अगस्त को होने वाली बैठक में रखा जायेगा और उसके बाद अनियमितताओं पर कार्रवाई होगी. इस टीम द्वारा औचक निरीक्षण की सूचना मिलते ही कई अस्पताल संचालक या तो अस्पताल छोड़ कर भाग गये या बीमारी का बहाना बना लिए. इस टीम में डॉ संजय प्रसाद, हॉस्पीटल मैनेजर मो शहनवाज, डीटीएम जाहीद अंसारी, मेडिकल ऑफिसर इंचार्ज के अलावे पुलिस अधिकारी मौजूद थे. इस संबंध में पूछने पर डॉ शंभू नाथ चौधरी ने बताया कि अब तक लगभग 14 नर्सिंग होम का औचक निरीक्षण किया जा चुका है.
डॉ भद्रा को आयुर्वेदिक इलाज की अनुमति है पर देते हैं एलोपैथिक दवाएं
जब टीम द्वारा मिशन चौक पर स्थित भद्रा क्लिनिक का औचक निरीक्षण किया जा रहा था तो वहां लोगों की भीड़ जमा हो गयी. लोगों को जानकारी मिली कि यहां जो व्यक्ति इलाज करता है उसे सिर्फ आयुर्वेदिक दवा लिखने की इजाजत है. तो लोगों ने कहा कि भद्रा तो यहां बिना ऑपरेशन थियेटर के ऑपरेशन भी कर देता है. न कोई सुविधा है और न ही कोई मापदंड है.
सिर्फ मरीजों को बरगला कर पैसा ऐठा जाता है. यहां स्वच्छता का भी घोर अभाव है. आसपास के लोग मेडिकल कचरा से परेशान रहते हैं. सड़क किनारे मेडिकल कचरा फेक दिया जाता है जो कई संक्रामक रोगों को जन्म देता है. जब टीम ने वहां निरीक्षण किया तो पाया कि सचमुच में डॉ भद्रा मरीजों को बगैर इजाजत के एलोपैथिक दवाएं लिख रहे थे.