लोहरदगा : जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में मंडल कारा लोहरदगा में शिक्षा के अधिकार कानून पर विधिक जागरूकता शिविर सह जेल अदालत का आयोजन किया गया. इस अवसर पर प्राधिकार के सचिव रंजीत कुमार ने कहा कि देश के 6-14 आयु वर्ग के बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा देना कानूनी रूप से सरकार के लिए जरूरी हो गया है.
इस कानून के अनुसार 30 बच्चों में शिक्षक का होना आवश्यक है. विद्यालय में प्रवेश के लिए विद्यालय प्रबंधन जन्म प्रमाण पत्र या स्थानांतरण प्रमाण पत्र के आधार पर मना नहीं कर सकता है, तथा सत्र के दौरान कभी भी दाखिल लिया जा सकता है.
न्यायिक दंडाधिकारी चंद्रिका राम ने बताया कि निजी विद्यालयों में 25 प्रतिशत सीटें गरीब बच्चों के लिए आरक्षित होगी. शिक्षा के बिना कोई भी व्यक्ति अपने मौलिक अधिकारों का उपयोग नहीं कर सकता है.
एसडीजेएम एसएस सिकंदर तथा प्रथम न्यायिक दंडाधिकारी सीबी कुमार ने बताया कि किसी भी कानून की गरिमा तभी है जब उसे सही तरीके से लागू किया जाये तथा उस कानून के उद्देश्य की प्राप्ति हो सके. प्रत्येक माता-पिता तथा अभिभावक का यह कर्तव्य है कि वह अपने बच्चों को विद्यालय अवश्य भेजें.
रजिस्ट्रर शेष नाथ सिंह ने जेल में विचारधीन कैदियों को संबोधित करते हुए कहा कि छोटे-मोटे अपराध के लिए अगर कैदी अपना जुर्म स्वीकार करता है तो उन्हें फाइन देकर रिहा किया जा सकता है. मौके पर अधिवक्ता दीपक कुमार, तौसिफ मेराज, मिथिलेश कुमार ने भी संबोधित किया.
मौके पर डा. गणोश प्रसाद, पुलिस अधिकारी नरेंद्र मोहन सिन्हा, मो.शाहिद, नरेश राम, महेश प्रसाद, अनुप कुमार, रामप्रवेश सिंह, नरेंद्र शर्मा, प्रीतम कुमार, गोवर्धन मुखर्जी, भीम राय, गुडू सहित कैदी मौजूद थे.
उदय तुरी ने जुर्म कबूला
जेल अदालत में जीआर287/12 किस्को थाना कांड संख्या 43/12 के अभियुक्त उदय तुरी ने अपना जुर्म कबूल किया. उसे अदालत में ही एक हजार रुपये जुर्माना लगाया गया. उदय तुरी को जेल से रिहा कर दिया जायेगा.