लोहरदगा : पर्यावरण के दृष्टिकोण से लाभकारी है मिट्टी का दीपक जलाना

लोहरदगा : जिले में दीपावली पर्व को लेकर हर ओर उत्साह का माहौल है. दीपावली का पर्व लोग धूमधाम से मनाने की तैयारियों में जुट गये हैं. लोग इस बार चाइनिज बल्बों के बजाय मिट्टी के दीपक से दिवाली मनायेंगे. इस संबंध में लोगों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है. जिले के प्रसिद्ध व्यवसायी राजेंद्र महतो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 5, 2015 12:20 AM
लोहरदगा : जिले में दीपावली पर्व को लेकर हर ओर उत्साह का माहौल है. दीपावली का पर्व लोग धूमधाम से मनाने की तैयारियों में जुट गये हैं. लोग इस बार चाइनिज बल्बों के बजाय मिट्टी के दीपक से दिवाली मनायेंगे. इस संबंध में लोगों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है. जिले के प्रसिद्ध व्यवसायी राजेंद्र महतो राजू का कहना है कि मिट्टी का दीया शुद्ध होता है और इसका पर्यावरण पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ता है.
चायनिज बल्बों के स्थान पर मिट्टी का दिया का ही प्रयोग किया जायेगा. गांधी मेडीकेयर सेंटर के डायरेक्टर एसके सिंह ने कहा कि पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए मिट्टी के दीये में करंज तेल डाल कर जलाना बेहतर होता है. इससे नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और वातावरण पर इसका व्यापक प्रभाव भी पड़ता है. सिटी ऑन लाइन के डायरेक्टर प्रतीक प्रकाश मोनी का कहना है कि दीपावली का मुख्य मकसद वातावरण को शुद्ध करना है.
शुद्ध एवं स्वच्छ वातावरण में ही लक्ष्मी का प्रवेश होता है. इसलिए इस बार हर हाल में मिट्टी के दीये का ही उपयोग किया जायेगा. लोहरदगा चेंबर ऑफ काॅमर्स के पूर्व अध्यक्ष कमल प्रसाद केसरी का कहना है कि दीपावली के लिए मिट्टी के दिये से बेहतर कुछ भी नहीं हो सकता है. सामाजिक कार्यकर्ता मोहन दुबे का कहना है कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी मिट्टी के दिये का प्रयोग किया जाना चाहिए. दीपावली के पीछे धार्मिक व वैज्ञानिक पहलू भी है.
हमें पारंपरिक दीपावली ही मनाना चाहिए. चांपी निवासी मनोज साहू का कहना है कि चायनिज बल्बों के स्थान पर मिट्टी का दीया का उपयोग बेहत्तर हेाता है. इससे बहुत तरह की लाभ होते हैं. इस बार मिट्टी के दीये का ही उपयोग किया जायेगा.

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