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उपेक्षित है शहीद पांडेय गणपत राय का गांव भौंरो

लोहरदगा : शहीद पांडेय गणपत राय की जन्म भूमि भौंरो आज भी उपेक्षित है. 1857 की क्रांति में पांडेय गणपत राय ने अपनी वीरता से अंगरेजों के दांत खट्टे कर दिये थे. उन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया था, लेकिन इस वीर शहीद का गांव आज तक आदर्श गांव नहीं […]

लोहरदगा : शहीद पांडेय गणपत राय की जन्म भूमि भौंरो आज भी उपेक्षित है. 1857 की क्रांति में पांडेय गणपत राय ने अपनी वीरता से अंगरेजों के दांत खट्टे कर दिये थे. उन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया था, लेकिन इस वीर शहीद का गांव आज तक आदर्श गांव नहीं बन पाया है.
हर वर्ष 17 जनवरी को यहां कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. घोषणाओं की झड़ी लग जाती है. एक से एक लुभावने बातें कही जाती है. विकास मेला लगा कर जिले की विकास की झांकी प्रदर्शित की जाती है, लेकिन कार्यक्रम की समाप्ति के बाद कोई धरातल पर काम नहीं होता है. पहले तो पांडेय गणपत राय की जयंती को लेकर लोगों में काफी उत्साह होता था, लेकिन जब से झूठे वादे और घोषणाओं का दौर शुरू हुआ, तब से लोगों की रुचि इसमें कम हो गयी. अब सिर्फ रस्म अदायगी ही होती है. लोग शहीद के कार्यक्रम में आनेवाले नेताओं, पदाधिकारियों से कोई मांग भी नहीं करते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी, सिर्फ आश्वासन ही उन्हें मिलेगा. हालांकि इस गांव में इंदर सिंह नामधारी, दिनेश उरांव, सरयू राय, सीपी सिंह, सुदर्शन भगत के अलावे सैकड़ों की संख्या में नेता एवं मंत्री पहुंचे हैं और हर एक ने कुछ न कुछ वादा किया, लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं हो पाया. जिला प्रशासन 17 जनवरी को शहीद के जन्म दिवस के मौके पर शहीद स्मारक स्थल की साफ-सफाई एवं रंग रोगन जरूर कराता है.

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