– प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा
– किसी व्यक्ति का मानवाधिकार का हनन न करें
लोहरदगा : प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार संजय प्रसाद के मार्ग दर्शन में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर व्यवहार न्यायालय के सभी पदाधिकारी संजय प्रसाद, डीजे-1 विजय कुमार शर्मा, सीजेएम चंद्रिका राम, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी रंजीत कुमार, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी एसएन सिकदर, शंकर कुमार महाराज, चंद्रभानु कुमार, शेषनाथ सिंह, रौशन लाल शर्मा, जुगल किशोर पोदार सहित न्यायिक कर्मचारी द्वारा शपथ लिया गया कि संविधान द्वारा संरक्षित तथा विभिन्न संधियों द्वारा भारत में अंगीकृत एवं कार्यान्वित मानवाधिकारों के प्रति सत्य, निष्ठा रखा जायेगा.
न्यायिक पदाधिकारियों ने मानवाधिकारों के संरक्षण, सभी दायित्वों, किसी भेदभाव के आत्म सम्मान तथा उनके प्रति श्रद्धा रखने की शपथ ली.
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मौके पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा कि सर्वप्रथम मैं मानवाधिकार शब्द का क्या तात्पर्य है बताना चाहता हूं. सामाजिक जीवन के वे दशाएं जो मानव को समाज एवं कानून सम्मत कार्यो को संपादित करने की पूर्ण स्वतंत्रता दें, मानवाधिकार कहेंगे.
कानून के सामने समानता का अधिकार जब तब अदालत दोषी करार नहीं देती. उस वक्त तक निदरेष होने का अधिकार, मनमाने ढंग से की गयी गिरफ्तारी, हिरासत में रखने या निर्वासन से आजादी का अधिकार, प्रत्येक व्यक्ति को समाज के सदस्य के रूप में सामाजिक सुरक्षा के अधिकार, प्राथमिक एवं मौलिक स्तर पर नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार आदि बहुत सी बातों का समावेश किया गया है. हमारे संविधान में मूल अधिकार, राज्य के नीति निदेशक तत्वों के माध्यम से मानवाधिकार का समावेश किया गया है.
मैं यह भी कहना चाहता हूं कि हमारे संविधान के अनुच्छेद 330 के द्वारा अनुसूचित जन जातियों और अनुसूचित जातियों को लोकसभा में विशेष अधिकार प्रदान किया गया है. प्रत्येक राज्य में मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया है.
मानवाधिकार आयोग का अधिकार और कर्तव्य काफी विस्तृत ढंग से बताया गया है. वर्तमान समाज में मानवाधिकार का सबसे बडा शत्रु आतंकवाद है. दूसरा व्यक्ति के शिक्षा और जागरूकता के अभाव में मानवाधिकार के प्रति उदासीनता. जिसके कारण निदरेष लोग मानवाधिकार हनन के शिकार बन जाते हैं. उन्होंने कहा कि सभी के प्रति संवेदनशील बने और किसी व्यक्ति का मानवाधिकार का हनन न करें.