राज्य सरकार को हर साल 270 करोड़ रुपये के राजस्व का हो रहा है नुकसान

गोपी कुंवर लोहरदगा : बाॅक्साइट खदानों का लीज नवीकरण नहीं होने की वजह से चालान निर्गत नहीं किया जा रहा है. 18 में से 14 माइंस बंद हो चुके हैं. इससे कंपनियों को तो नुकसान हो ही रहा है, लोहरदगा, गुमला और लातेहार जिले के करीब एक लाख लोग बेरोजगार हो गये हैं. 3,000 ट्रकों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 2, 2016 6:16 AM
गोपी कुंवर
लोहरदगा : बाॅक्साइट खदानों का लीज नवीकरण नहीं होने की वजह से चालान निर्गत नहीं किया जा रहा है. 18 में से 14 माइंस बंद हो चुके हैं. इससे कंपनियों को तो नुकसान हो ही रहा है, लोहरदगा, गुमला और लातेहार जिले के करीब एक लाख लोग बेरोजगार हो गये हैं. 3,000 ट्रकों का परिचालन ठप हो गया है. इसकी वजह से राज्य सरकार को हर साल 270 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है.
बीस वर्ष पुराने खदानों के लीज का नवीकरण करने का नियम है. आमतौर पर लीज समाप्त होने के एक वर्ष पूर्व ही यह प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है, ताकि खनन कार्य बाधित न हो. लेकिन, कई खदानों की लीज खत्म हुए दो साल बीत जाने के बावजूद सरकार की ओर से कंपनियों को खनन के लिए क्लियरेंस नहीं मिला है. हालांकि, खदान मालिकों का कहना है कि उनकी ओर से लीज नवीकरण की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है. सरकारी अधिकारियों की वजह से काम अटके पड़े हैं. ज्ञात हो कि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ और ओड़िशा की सरकारों ने नियमों में ढील देकर खदानों को बंद नहीं होने दिया. यहां तक कि बंद खदानों को भी चालू करवाया. लेकिन, झारखंड में ऐसा कुछ नहीं हुआ. सूत्र बताते हैं कि सरकार द्वारा उत्खनन नीतिमें बदलाव नहीं करने के कारण भारी संख्या में लोग बेरोजगार हो गये हैं.
जियोमैक्स ने सबलीज पर लिये थे खदान : राज्य में बॉक्साइट के भंडार की जानकारी मिलने पर हैदराबाद की ‘जियोमैक्स’ कंपनी ने पाखर, चांपी, ढुलवापाट, सेरका, कुजाम, न्यू अमतीपानी, चिरोडीह, अमतीपानी राजहंस, लुपुंपाट, हाड़ुप व शारदा माइका माइंस के मालिकों को मोटी रकम देकर इन खदानों से खनन कार्य शुरू किया, लेकिन कुछ ही दिनों में इसे बंद करना पड़ा. इन खदानों से कंपनी को 1.5 लाख टन बाॅक्साइट के खनन की स्वीकृति मिली थी. इसका राजस्व 22.50 करोड़ रुपये प्रति माह बनता था. माइंस को नुकसान होने के साथ-साथ सरकार को भी राजस्व की हानि हो रही है.
रामगढ़, बोकारो, हजारीबाग के कई उद्योग प्रभावित : कच्चा माल के अभाव और पर्यवरण स्वीकृति नहीं मिलने के कारण लोहरदगा जिला की बाॅक्साइट पीसनेवाली छह फैक्टरियां बंद हैं. इनमें काम करनेवाले 200 लोग बेरोजगार हो गये हैं. इतना ही नहीं, रामगढ़, बोकारो व हजारीबाग के जिन उद्योगों को यहां से माल भेजा जाता था, उनका काम भी प्रभावित हो रहा है.
फिक्स हैं कंपनियों के कुछ खर्च: बाॅक्साईट पीसनेवाली फैक्टरियों में 50 केवीए के मोटर हैं. इन्हें फिक्स चार्ज, मीटर रेंट व अन्य अन्य शुल्क के रूप में लगभग सात हजार रुपये प्रतिमाह देने पड़ते हैं. मैनेजर, मुंशी एवं स्थायी कामगारों का वेतन देना पड़ता है, सो अलग.
ट्रक मालिक हैं परेशान : गुरदरी बाॅक्साइट माइंस को 21 अगस्त 2016 को बंद करना पड़ा. खदान के अचानक बंद होने के बाद खदान क्षेत्र में लोड ट्रकों को वैकल्पिक व्यवस्था कर लोहरदगा साइडिंग में लाकर खड़ा कर दिया गया. इससे ट्रक मालिक परेशान हैं. उन्हें भारी नुकसान हो रहा है.

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