जिले में 90 फीसदी रोपनी पूर्ण
लोहरदगा जिला में धनरोपनी का काम तेजी से हो रहा है. जिले में अब तक 90 प्रतिशत धनरोपनी का काम पूरा हो चुका है. इस बार काफी संख्या में प्रवासी मजदूर लोहरदगा आये हैं और अपने-अपने खेतों में काम कर रहे हैं. बाहर से आये लोग बड़े उत्साह के साथ खेती के काम में लगे हैं.
बाहर से लौटे मजदूर नयी तकनीक से खेती में निभा रहे हैं भूमिका
लोहरदगा : लोहरदगा जिला में धनरोपनी का काम तेजी से हो रहा है. जिले में अब तक 90 प्रतिशत धनरोपनी का काम पूरा हो चुका है. इस बार काफी संख्या में प्रवासी मजदूर लोहरदगा आये हैं और अपने-अपने खेतों में काम कर रहे हैं. बाहर से आये लोग बड़े उत्साह के साथ खेती के काम में लगे हैं.
पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों से आये लोग आधुनिक तकनीक से खेती कर रहे हैं. उनका कहना है कि अब पुरानी पद्धति से खेती करने से लाभ नहीं है, आधुनिक तकनीक से खेती में मेहनत कम है और लागत भी कम है. अब हल-बैल का जमाना गया, अब खेतों की जुताई ट्रैक्टर से हो रही है. प्रति घंटा आठ सौ रुपये का खर्च आता है. मेहनत भी नहीं है. इसी तरह से आधुनिक तकनीक से काम करने की जरूरत है.
कैरो प्रखंड के गुडी गांव निवासी बुधना उरांव जो करनाल से लौटे हैं. उनका कहना है कि आज हम अपने खेतों में काम कर रहे हैं. बहुत अच्छा लग रहा है. दूसरे राज्यों में लोग अब नयी तकनीक से खेती करते हैं. बदलाव की आवश्यकता है. लोगों का कहना है कि इस बार बेहतर खेती होगी. माॅनसून अच्छा साथ दे रहा है और इसी तरह यदि वर्षा होते रही, तो निश्चित रूप से धान की खेती बढ़िया होगी. किसानों का कहना है कि सही समय में यदि वर्षा होती है तो धान की पैदावार बेहतर होती है.
अब लोहरदगा जिला में किसान बिल्कुल अलग तरीके से काम करने लगे हैं. अब गांव में बैलों के गले में घंटियों की जगह ट्रैक्टर की गड़गड़ाहट सुनायी देती है. लोग खेती के काम में पूरे जोर-शोर से लगे हुए हैं और लोहरदगा जिला में बड़ी तेजी से रोपनी का काम हो रहा है. जिले में लगभग 90 प्रतिशत रोपनी का काम पूरा हो चुका है. किसान कहते हैं कि रोपनी का काम पूरा करने के बाद अब मनरेगा के तहत संचालित योजनाओं में वे लोग काम करेंगे. ताकि उन्हें आर्थिक लाभ हो सके.
प्रवासी मजदूर जो दूसरे राज्यों से आये हैं उनका कहना है कि खेती के बाद वे खाली नहीं बैठेंगे. सरकार द्वारा संचालित योजनाओं में वे काम करेंगे. वहीं कुछ कुशल मजदूर भी हैं जो विभिन्न तकनीक सिखे हुए हैं. उनका कहना है कि यदि उनके अनुरूप उन्हें यहां काम मिले तो वे लोग बाहर नहीं जायेंगे. हालांकि इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा एक कमेटी का भी गठन किया गया है और इसमें ऐसे मजदूरों की सूची तैयार की जा रही है. जिला प्रशासन का भी कहना है कि यदि तकनीकी के जानकार लोग यहां रहेंगे तो लोगों को भी सुविधा होगी. वैसे अभी सभी लोगों का ध्यान खेती पर ही है.