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बड़ा तालाब व बुचा तालाब के अस्तित्व पर गहराया संकट
लोहरदगा : लोहरदगा शहर का प्राचीन विक्टोरिया तालाब अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है. अपनी उपेक्षा के कारण यह तालाब आज अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. बड़ा तालाब के किनारे लोगों ने बड़े पैमाने पर अतिक्रमण कर रखा है. लोगों ने बड़ा तालाब की जमीन पर अतिक्रमण कर घर भी बना लिया […]
लोहरदगा : लोहरदगा शहर का प्राचीन विक्टोरिया तालाब अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है. अपनी उपेक्षा के कारण यह तालाब आज अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. बड़ा तालाब के किनारे लोगों ने बड़े पैमाने पर अतिक्रमण कर रखा है. लोगों ने बड़ा तालाब की जमीन पर अतिक्रमण कर घर भी बना लिया है. पिछले दिनों उपायुक्त विनोद कुमार ने इस तालाब का निरीक्षण किया था और वहां की स्थिति देख कर दंग रह गये थे.
उन्होंने आसपास के लोगों से पूछा तो लोगों ने बताया कि यहां लोगों ने अवैध तरीके से मकान बना लिया है. कुछ लोगों ने कहा कि उन्होंने इस जमीन को खरीदा है. डीसी ने तत्काल नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को इस तालाब की मापी करा कर अवैध रूप से कब्जा किये लोगों को हटाने का निर्देश दिया था़
लेकिन उपायुक्त का निर्देश सिर्फ निर्देश बन कर रह गया. उसका अनुपालन नहीं हुआ. किसी जमाने में शहर के बीच में स्थित बुचा तालाब भी पानी से लबालब भरा रहता था लेकिन भू माफियाओं ने इस तालाब को अवैध तरीके से भर दिया. अब इस जमीन को समतल कर बेचने की तैयारी की जा रही है. जब तक यह तालाब आबाद था तब तक पूरे इलाके में जलस्तर काफी उपर था. अब इस इलाके में न तो कुएं में पानी है न ही चापानल ही सक्सेस है. लोग परेशान हैं. बुचा तालाब के अस्तित्व को मिटाने की साजिश हो रही है. समाज के प्रबुद्ध वर्ग के लोगों ने जिला प्रशासन से बुचा तालाब को बचाने का आग्रह किया है.
शहर से गांव तक लोग परेशान
जिले में जल संकट से लोग परेशान हैं. पानी के लिए लोगों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है. जनप्रतिनिधि और अधिकारी जनता को पानी के बजाय आश्वासनों का घुंट पिला रहे हैं.
बड़े-बड़े दावे और वादे किये गये लेकिन अभी भी जल संकट से लोगों को निजात नहीं मिला है. शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी भीषण पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है. इंसान के साथ-साथ जानवर भी परेशान हैं. कोई मुख्यमंत्री से मिलने की बात कह रहा है तो कोई हर घर को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने का झूठा दावा कर रहा है. जबकि जमीनी हकीकत ये है कि जनता अपने भाग्य भरोसे किसी तरह जी रही है. पानी के लिए लोगों को अहले सुबह ही अपने घरों से निकलना पड़ता है और इधर-उधर भटकना पड़ता है.
शहरी क्षेत्र के खराब चापानलों की मरम्मत के बावजूद लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है. कुछ इलाकों में कभी-कभार टैंकर से पानी की आपूर्ति की जाती है लेकिन उसकी भी जानकारी मुहल्ले वालों को पहले नहीं दी जाती है. नदी तालाब सूख चुके हैं. कुएं भी सूख चुके हैं. लोगों की परेशानी कम नहीं हो रही है.
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