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लोहरदगा के कुड़ू में बड़ा हादसा टला, जर्जर अवस्था में है सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन

कार्यालय कक्ष का सीलिंग गिरने के बाद आवासीय परिसर में रहने वाले चिकित्सकों से लेकर एएनएम तथा जीएनएम से लेकर एंबुलेंस चालकों में भी दशहत उत्पन्न हो गया है

अमित कुमार राज, लोहरदगा : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुड़ू परिसर में बनें भवन जानलेवा बनते जा रहे हैं. सीएचसी में बने मरीज निबंधन कक्ष, कार्यालय कर्मियों की बैठक भवन सह मरीजों की स्क्रीनिंग रूम के छत का सीलिंग सोमवार शाम भरभरा कर गिर गया. गनीमत रही कि गांधी जयंती के मौके पर कार्यालय कक्ष बंद था तथा कोई कर्मी ऑफिस में मौजूद नहीं थे. नहीं तो एक बड़ा हादसा हो सकता था. कार्यालय कक्ष का सीलिंग गिरने से कार्यालय कक्ष में रखे गए टेबल तथा कुर्सी क्षतिग्रस्त हो गया है.

लगातार हो रही बारिश के बाद सीएचसी में कार्यरत कर्मियों के लिए बना आवासीय भवन के भी ध्वस्त होने की संभावना बढ़ गई है. कार्यालय कक्ष का सीलिंग गिरने के बाद आवासीय परिसर में रहने वाले चिकित्सकों से लेकर एएनएम तथा जीएनएम से लेकर एंबुलेंस चालकों में भी दशहत उत्पन्न हो गया है. जानकारी के मुताबिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुड़ू में भवनों का निर्माण अंग्रेजी हुकूमत के समय किया गया था.

घटना के बारे में बताया जाता है कि सीएचसी ओपीडी के बगल में कर्मियों का बैठक कक्ष, मरीजों के निबंधन कक्ष सह बैठक रूम गांधी जयंती के मौके पर सोमवार को बंद था. मंगलवार को जब सुबह कर्मियों ने ऑफिस खोला तो कमरे का नजारा देख कर हैरान हो गए. कर्मियों के बैठने के लिए लगाए गए टेबल तथा कुर्सी पर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था. इसके बाद घटना की सूचना प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुलामी होरो को दी गई.

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वहीं, ग्रामीणों से बात करने पर पता चला कि कमरे का सीलिंग सोमवार रात लगभग आठ बजे गिर गया. सीलिंग गिरने की आवाज आस-पास के रहने वाले लोगों को भी सुनाई दी थी. फिलहाल, प्रभारी ने इसकी सूचना सिविल सर्जन लोहरदगा को दे दी है. बताया जाता है कि एक माह पहले भी कार्यालय कक्ष के खिड़की का एक छज्जा दिन में गिर गया था. गनीमत थी कि उस वक्त भी कोई मौजूद नहीं था.

जानकारों की मानें को भवन निर्माण विभाग ने पहले ही सीएचसी परिसर में स्थित चिकित्सक और कर्मियों के लिए बने आवास को कंडम घोषित कर दिया था. लेकिन, विवशता की वजह से कर्मी तथा चिकित्सक लगातार अपनी ड्यूटी कर रहे हैं. उनकी मजबूरी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बारिश से बचने के लिए कई कर्मियों ने छत पर तिरपाल लगाया है.

वहां कार्यरत कर्मियों का कहना है कि लगातार हो रही बारिश से छत व दिवारों पर दरारें आ गई है. जल्द इसकी मरम्मत नहीं की गयी तो जल्द कोई बड़ा दुर्घटना घट सकती है. जर्जर पड़े भवनों की जानकारी कई बार उपायुक्त से लेकर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को दी गयी लेकिन किसी ने भी इनकी सुध नहीं ली. इस संबंध में जब प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुलामी होरो ने बताया कि मासिक बैठक में हर माह जर्जर भवन की सूचना लिखित रूप से देते हैं. इसके बावजूद अभी तक कोई पहल नहीं हुई है.

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