कुड़ू में खंडहर में तब्दील हो रहे करोड़ों के भवन, विभाग, प्रखंड व जिला प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधि तक सभी खामोश
बताया जाता है कि कृषि फार्म हाउस में 15 साल पहले किसान प्रशिक्षण केंद्र का निर्माण लगभग 10 लाख की लागत से कराया गया. भवन निर्माण कार्य पूरा होने के बाद कभी भी भवन में किसानों को प्रशिक्षण नहीं दिया गया है. इसके अलावा कृषि विभाग द्वारा बीज गुणन केंद्र स्थापित करते हुए लगभग 40 लाख रुपये की लागत से कृषि फार्म हाउस की चहारदीवारी समेत भवन निर्माण कार्य कराया गया, जो बेकार पड़ा है.
कुड़ू : कुडू प्रखंड परिसर के समीप कृषि फार्म हाउस कुड़ू में करोड़ों की लागत से बने भवन बेकार पड़े हैं. भवन अब खंडहर मे तब्दील हो रहे हैं. इसके बावजूद कृषि विभाग, प्रखंड व जिला प्रशासन से लेकर जनप्रिनिधि सभी खामोश हैं. भवन निर्माण के पीछे सरकार की योजना थी कि किसानों को उन्नत खेती के लिए प्रशिक्षण देते हुए कृषि कार्यों को बढ़ावा दिया जाये. तापमान मापक यंत्र भी लगाया गया, ताकि किसानों को मौसम की जानकारी दी जाये. लेकिन न तो किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है और न ही तापमान मापक यंत्र का प्रयोग किया जा रहा है. इससे सरकार की योजना फ्लाॅप साबित हो रही है.
बताया जाता है कि कृषि फार्म हाउस में 15 साल पहले किसान प्रशिक्षण केंद्र का निर्माण लगभग 10 लाख की लागत से कराया गया. भवन निर्माण कार्य पूरा होने के बाद कभी भी भवन में किसानों को प्रशिक्षण नहीं दिया गया है. इसके अलावा कृषि विभाग द्वारा बीज गुणन केंद्र स्थापित करते हुए लगभग 40 लाख रुपये की लागत से कृषि फार्म हाउस की चहारदीवारी समेत भवन निर्माण कार्य कराया गया, जो बेकार पड़ा है.
10 साल पहले बनी चहारदीवारी कई स्थानों पर टूट गयी है. नतीजा मवेशी प्रवेश कर जा रहे हैं, साथ ही लगाये गये फलदार पौधों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इसके अलावा टूटी चहारदीवारी के कारण असमाजिक तत्वों का जमावाड़ा लगना आम बात हो गयी है. किसानों को तापमान की जानकारी देने के लिए तापमान यंत्र लगाया गया, जिसका प्रयोग नहीं हो पा रहा है. फसल उत्पादन के लिए पाली हाउस बनाया गया, जो कबाड़ में तब्दील हो गये हैं.
कृषि विभाग द्वारा फसलों को रखने के लिए एक गोदाम का निर्माण कराया जा रहा था, जो पिछले 16 साल से अधूरा पड़ा है. बताया जाता है कि गोदाम भवन निर्माण के लिए आवंटित राशि में से आधी से अधिक राशि की निकासी हो चुकी है. कृषि फार्म हाउस को ठेकेदारी का अड्डा बना दिया गया. कई भवन तो ऐसे बने हैं, जिनका निर्माण के बाद आज तक कोई इस्तेमाल नहीं हो पाया है.
सबसे बड़ी बात यह है कि प्रखंड मे कई विभाग किराये के मकान में चल रहा है, तो प्रखंड के विभिन्न विभागों में कार्यरत अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक किराये के भवन में रह रहे हैं. जिला प्रशासन ने कभी भी भवनों के इस्तेमाल के प्रति रुचि नहीं दिखायी है. करोड़ों की लागत से बने भवन खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं. इतना ही नहीं भवन का प्रयोग मवेशी बांधने से लेकर कई प्रकार के कार्यों के लिए किया जा रहा है.
इस संबंध में न तो जिला प्रशासन और न ही प्रखंड प्रशासन ना ही जनता के सेवक कहे जानेवाले जनप्रतिनिधि कोई ध्यान दे रहे हैं. इस संबंध में प्रभारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी किशोर उरांव ने बताया कि कृषि फार्म हाउस का संचालन प्रखंड कृषि विभाग से नहीं होता है, इसके लिए अलग से विभाग था, विभाग में कार्यरत अधिकारी के सेवानिवृत्त होने के बाद कृषि विभाग निगरानी कर रहा है. कृषि विभाग का परिसर जुआरियों का अड्डा बना हुआ है. इसका तेजी से अतिक्रमण किया जा रहा है, लेकिन देखने वाला कोई नहीं है.
Posted By : Sameer Oraon