लोहरदगा : लोहरदगा का न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के नीचे चला गया है. इससे लोगों की दिनचर्या ही बदल गया है. सुबह 10 बजे से पहले लोग अपनी जरूरी काम के लिए भी अपने घरों से नहीं निकल पा रहे हैं. इससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. तापमान में अत्यधिक गिरावट आने से हर तबके के लोग परेशान हैं. शहरी क्षेत्र में करोड़ों रुपए की पूंजी लगाकर व्यवसाय कर रहे लोगों का स्टाफ सहित दैनिक मजदूरी भी नहीं निकल पा रहा है.
कारण है कि ग्रामीण इलाकों से खरीदारी करने लोग शहरी बाजार ठंड के कारण नहीं पहुंच पा रहे हैं. अत्यधिक ठंड के कारण ऐसे तो आम जन जीवन ही प्रभावित हुआ है लेकिन सबसे ज्यादा प्रभाव दैनिक मजदूरी करने वाले दिहाड़ी मजदूरों को झेलना पड़ रहा है. ग्रामीण इलाकों से सुबह 9 बजे शहरी बाजार में मजदूर पहुंच रहे हैं. लेकिन उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है. कुछ मजदूरों को जिन्हें दैनिक मजदूरी का काम मिल गया है उन्हें शाम में अपने घर पहुंचने में काफी परेशानी हो रही है. 6 बजे काम बंद होने के बाद दूर दराज से आए मजदूरों को अपना घर पहुंचना मशक्कत भर काम हो रहा है. मजदूरों से पूछने पर उन्होंने बताया किअत्यधिक ठंड और छोटा दिन होने के कारण अधिकतर निजी काम कराने वाले लोग अपना काम बंद कर दिए हैं. इधर धान कटनी के बाद गांव घरों में काम नहीं रहने और अपना परिवार का जीवीकोपार्जन करने के लिए लोग शहरी बाजार तो आते हैं लेकिन उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है. जिससे उन्हें अपना घर चलाना मुश्किल हो रहा है. ठंड का प्रकोप का सबसे ज्यादा असर वनांचली इलाके के लोगों को झेलना पड़ रहा है. जहां कनकनी हवाओं के बहने से लोगों को दिनभर ठंड के आगोश में रहना पड़ता है. ग्रामीण इलाके के लोगों का कहना है कि वनांचली इलाका होने के कारण किसी किसी गांव में सूर्य की रोशनी तक नहीं पहुंच पाती है. घने जंगल और पहाड़ के कारण इन क्षेत्रों में सर्द हवाओं के बहने से जीना मुश्किल हो गया है. वनांचली इलाकों में घने जंगल पहाड़ों एवं नदियों के कारण शीतलहर का प्रकोप ज्यादा असरदार होता है. वनांचली इलाके के लोगों ने बताया कि इस इलाके के अधिकांश लोग के घरों में पालतू मवेशी भी है जिसे बचना मुश्किल हो रहा है.
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इन मवेशियों को अन्य मौसम में अमूमन घर के बाहर रखा जाता है. लेकिन अत्यधिक ठंड से बचाने के लिए इन्हें भी उसी घर में रखना पड़ रहा है जहां वे स्वयं रहते हैं. दिन भर चल रही शीतलहर से कमजोर वर्ग के लोगों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. शहरी क्षेत्र के लोगों के पास गर्म कपड़ों की कमी नहीं है जिसके कारण वह किसी तरह ठंड से बच रहे हैं. लेकिन ग्रामीण एवं वनांचली इलाके के लोगों के पास गर्म कपड़े का अभाव होता है. वनांचली इलाके के लोग ठंड से बचने के लिए लकड़ी का बोटा जलाकर रात में सोते हैं. ताकि उन्हें ठंड का असर ना हो. ठंड से बचने के लिए लोग अलाव की व्यवस्था कर आग तापते नजर आ रहे हैं. इन क्षेत्रों के बुजुर्गों को ठंड से बचाना भी एक बड़ी जिम्मेवारी बन गई है. ठंड का प्रकोप बढ़ने के बाद जिला प्रशासन द्वारा अंचल के माध्यम से विभिन्न स्थानों पर अलाव की व्यवस्था करायी गयी है.