लोहरदगा. लोहरदगा लोकसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशी इस कड़ी धूप में पसीना बहा रहे हैं. लेकिन उनकी बैठकों व चौपाल में भीड़ कम रह रही है. इसका एक कारण प्रदूषण भी है. पहले लोहरदगा को मौसम के मामले में शिमला व कश्मीर की संज्ञा दी जाती थी. लेकिन आज स्थिति बदली हुई है. गांव, शहर व टोले में बचे-खुचे कुएं-तालाब या तो भर दिये गये हैं या भरे जा रहे हैं. जो बचे हैं, वह इतने प्रदूषित हो गये हैं कि उनका पानी इंसान तो क्या मवेशियों के लिए भी घातक हैं. आज जंगल के जंगल साफ हो चुके हैं. समारोहों व उत्सव में ध्वनिक विस्तारक यंत्रों से अहले सुबह से देर रात तक लोग परेशान रहते हैं. पटाखे, डीजे, जेनरेटर, खटारा वाहन, बुलेट में बदले गये साइलेंसर, प्रेशर हॉर्न 95 से 120 डेसीबल से भी ज्यादा ध्वनि उत्सर्जित करते हैं. घटिया सड़कों पर दौड़ते वाहनों के कारण उत्पन्न धूलकण शाम में शहर में पीली चादर ओढ़े नजर आते हैं. शहर में लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है. बॉक्साइट का अवैध खनन करने वाले पेड़ों को नष्ट कर रहे हैं. लोहरदगा शहर के बीच में बॉक्साइट डंंपिंग यार्ड बना दिया गया है. यहां हजारों ट्रक बॉक्साइट गिराया जा रहा है. इससे शहर में प्रदूषण का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. प्रदूषण के कारण लोग कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं और असमय काल के गाल में समा रहे हैं.
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