भंडरा में दुर्गापूजा का इतिहास 40 वर्ष पुराना है. 40 वर्ष पूर्व भंडरा थाना के थाना प्रभारी डी लाल ने दुर्गापूजा की शुरुआत की थी. थाना प्रभारी के साथ गांव के सभी लोगों का सहयोग दुर्गापूजा में होता था. सभी लोग बढ़-चढ़ कर इसमें अपनी सहभागिता निभाते थे. उस समय मां दुर्गा की प्रतिमा रांची से ट्रक में लोड कर लायी जाती था. दुर्गापूजा पुराना थाना के सामने मनायी जाती थी, जहां आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते थे. पूजा को लेकर लोगों में काफी उत्साह होता था.
पूजा पूरी शुद्धता व भक्तिभाव के साथ किया जाता था. पूजा के दौरान पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता था और मूर्ति विसर्जन के बाद लोगों को ऐसा एहसास होता था मानो मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन नहीं किया, बल्कि अपनी बेटी की विदाई की है. दशहरा के बाद कई दिनों तक पूरे क्षेत्र में वीरानगी छायी रहती थी. लोग काम धंधा करने नहीं जाते थे. कालांतर में स्थल परिवर्तन होते गया. कुछ दिनों तक ठाकुरबाड़ी प्रांगण में भी दुर्गापूजा होती था. वर्तमान में भंडरा में दो जगह पंडाल निर्माण कर दुर्गा पूजा की जाती है.
वर्तमान में थाना के सामने व मुख्य पथ एसबीआइ के पास मूर्ति स्थापित कर मां दुर्गा की पूजा की जाती है. लगभग 15 वर्षों से भंडरा में विजयदशमी के उपलक्ष्य पर रावण दहन का कार्यक्रम दुर्गापूजा समिति द्वारा की जाती है, जिसमें आसपास के लोग की सहभागिता होती है. दशहरा के उपलक्ष्य में रावण दहन स्थल ठाकुरबारी प्रांगण में मेला के समीप होता है. भंडरा थाना के मसमानो में एक जगह, भौरो में दो जगह, बेदाल में एक जगह, भीट्ठा में एक जगह पंडाल निर्माण कर दुर्गापूजा की जाती है. धीरे-धीरे पंडालों की संख्या बढ़ती जा रही है. इस बार कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए दुर्गापूजा होगी.