लोहरदगा के इस गांव में गाय पालकर आत्मनिर्भर हो रहे किसान, लोगों के लिए बने प्रेरणाश्रोत्र
किस्को प्रखंड के कई किसान दुग्ध उत्पादन कर बेहतर कमाई कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. प्रखंड के अरेया गांव के किसान घर के कामकाज करते हुए गाय पालन कर रहे हैं.
लोहरदगा : किस्को प्रखंड के कई किसान दुग्ध उत्पादन कर बेहतर कमाई कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. प्रखंड के अरेया गांव के किसान घर के कामकाज करते हुए गाय पालन कर रहे हैं. इससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हुई है व लोग आत्मनिर्भर भी बन रहे हैं. आर्थिक लाभ होने से उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है.
सफल किसान क्षेत्र के लिए प्रेरणाश्रोत्र बने हुए हैं. अरेया गांव के कई किसान एक दो गाय से डेयरी का काम शुरू किये थे. मेहनत व लगन से काम करनेवाले अब कई किसानों के पास आठ से 10 गायें हैं. किसानों ने बताया कि शुरुआती समय में हुए लोहरदगा डेयरी को दूध पहुंचाने जाते थे. लेकिन अब चूंकि गांव में प्रत्येक घरों में गाय रखा जाने लगा है और दूध काफी मात्रा में होता है. अब दूध डेयरी में पहुंचाना नहीं पड़ता.
डेयरी से रोजाना सुबह गाड़ी अरेया गांव आती है और किसानों से दूध लेकर जाती है. माह के अंत में उनके अकाउंट में पैसा डेयरी द्वारा भेज दिया जाता है. अरेया गांव के किसानों ने बताया कि गांव में लगभग 200 से अधिक दुधारू गाय हैं. इस गांव से रोजाना एक हजार लीटर दूध डेयरी फार्म को दिया जाता है. किसानों ने बताया कि गाय पालन के कई फायदे हैं.
एक तो दूध रोजाना बिक जाता है, जिससे अच्छी कमाई हो जाती है. इसके अलावा गोबर से भी आय होती है. किसान सितोष साहू, सोनू प्रजापति, सूरज साहू, संजय साहू, सरोज प्रजापति, लोकनाथ सिंह, जानकी देवी, नरेश साहू, वसीम अंसारी, साबिर अंसारी आदि किसान ने बताया कि पहले उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, लेकिन अब गाय पालन से उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है.
जिला गव्य पदाधिकारी ने कहा:
गोपालन व दूध उत्पादन के संबंध में जिला गव्य पदाधिकारी अनूप जी से बात करने पर उन्होंने बताया कहा कि मुझे दुग्ध से संबंधित कुछ आइडिया नहीं है. टेक्नीकल ऑफिसर से बात करने के बाद कुछ कहा जा सकता है.
मजबूत हो रही है आर्थिक स्थिति:
अरेया गांव के गो पालक सितोष साहू का कहना है कि उनके पास चार गाय हैं. दूध से उन्हें अच्छी आमदनी हो जाती है. पहले वे उसके महत्व को नहीं समझते थे, लेकिन जब से घर में गाय पालन शुरू किया, तब से घर में लक्ष्मी का आगमन शुरू हो गया. एक तो घर में शुद्ध दूध बच्चों को मिलता है, ऊपर से डेयरी में दूध देने से मुनाफा हो रहा है. आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है. खेती के काम में गोबर खाद का इस्तेमाल करने से बेहतर खेती भी हो रही है.
गाय साक्षात लक्ष्मी का रूप:
अरेया गांव की जानकी देवी ने बताया कि पहले पूरा दिन बेकार बैठे रहते थे. जब से गो पालन शुरू किया है, तब से समय का पता नहीं चलता है. गाय पालन से अच्छी आमदनी हो रही है. पूरा परिवार गो सेवा में लगे रहते हैं. दूध बेचने में कोई परेशानी नहीं है. गांव में भी लोग दूध ले जाते हैं. हमारे गो पालन के बाद गांव के अन्य कई लोगों ने गाय पालन शुरू किया है. जानकी देवी का कहना है कि गो पालन से उनकी तकदीर व घर की तस्वीर दोनों बदली है. गाय साक्षात लक्ष्मी का रूप है.