पारंपरिक के बजाय आधुनिक तकनीक से खेती कर रहे हैं लोहरदगा के किसान, महज एक घंटे में होती है धनरोपनी
लोहरदगा जिला में बरसात शुरू होते ही किसान खेती के काम में लग गये है. जिले में किसान धीरे धीरे पारंपरिक तरीके से खेती करना छोड़ रहे हैं और आधुनिक तकनीक अपना रहे हैं.
लोहरदगा: लोहरदगा जिला में बरसात शुरू होते ही किसान खेती के काम में लग गये है. जिले में किसान धीरे धीरे पारंपरिक तरीके से खेती करना छोड़ रहे हैं और आधुनिक तकनीक अपना रहे हैं. वर्तमान समय में धान का बिचड़ा तैयार है और किसान खेतों में रोपनी का काम कर रहे हैं, लेकिन इस बार कई किसान मशीन से धान की रोपनी कर रहे हैं.
ट्रैक्टर बनाने वाली कंपनी द्वारा आरटीपी मशीन लोहरदगा में उपलब्ध करायी गयी है. इस मशीन से श्री विधि से एक एकड़ में एक घंटे में धान की रोपनी हो जा रही है. बिचड़ा सहित प्रति एकड़ ढाई हजार रुपया का खर्च लिया जाता है. इस तकनीक से धान रोपने पर 120 दिन में फसल तैयार हो जाती है.
इस संबंध में लोहरदगा ऑटोमॉटिव के प्रोपराइटर रवि खत्री ने बताया कि यदि सामान्य तरीके से धान की उपज एक एकड़ में 25 बोरा होती है, तो आरटीपी से डेढ़ गुणा ज्यादा धान का उत्पादन होता है. उन्होंने बताया कि राइस ट्रांस प्लांटर से लोहरदगा जिला के किसान बड़े पैमाने पर धान की रोपनी का काम कर रहे है. उनके पास वर्तमान समय में 100 एकड़ जमीन में धान रोपनी की बुकिंग की गयी है. और यह बुकिंग लागातार जारी है.
उन्होंने बताया कि लोहरदगा जिला के सेन्हा, कुडू किस्को व कैरो में किसान इसको लेकर ज्यादा उत्साहित है. उन्होंने कहा कि आने वाला समय ऐसा होगा जब पैसे के बजाय लोग समय की कीमत को समझेंगे. यदि किसान कम समय मे और कम मेहनत में बेहतर उत्पदान कर ले रहा है तो निश्चित रूप से किसान इस ओर ध्यान देंगे.
कैरो प्रखंड के एड़ादोन के किसान संजय भगत ने बताया कि पहले वे धान की रोपनी ग्रामीण महिलाओं से कराते थे. इसमें काफी परेशानी होती थी. समय भी ज्यादा लगता था. लेकिन पिछले वर्ष से वे आरटीपी मशीन से धान की रोपनी करा रहे हैं. इसमें उन्हें काफी सहूलियत हो रही है. उनकी खेती को देखकर गांव के अन्य लोगों ने भी आरटीपी मशीन से खेती शुरू की है. यह मशीन भाड़े में उपलब्ध होता है. बदलते समय में लोहरदगा जिला में रोज खेती की नई नई तकनीक सामने आ रही है.