झारखंड के इस बेनाम स्टेशन से हर साल 15 लाख रुपए कमाता है रेलवे, सुविधा नदारद
झारखंड में एक ऐसा बेनाम स्टेशन है, जो रेलवे को हर साल 15 लाख रुपए का राजस्व देता है, लेकिन 13 साल बाद भी आज तक इसका नामकरण नहीं हो पाया है.
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कुड़ू से अमित कुमार राज की रिपोर्ट : लोहरदगा जिले में संभवत: देश का एकमात्र रेलवे स्टेशन है, जिसका 13 साल बाद भी नामकरण नहीं हुआ. इस बेनाम स्टशन से रेलवे को हर साल कम से कम 15 लाख रुपए की कमाई होती है. बावजूद इसके, यहां सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है.
13 साल बाद भी नहीं हो पाया झारखंड के इस स्टेशन का नामकरण
इस स्टेशन पर ट्रेन में चढ़ने या इस स्टेशन पर ट्रेन से उतरने वाले यात्रियों को बड़की चांपी स्टेशन का टिकट मिलता है. रेलवे के ऐप में बड़की चांपी स्टेशन का नाम है. बताया जाता है कि प्रखंड के एकमात्र रेलवे स्टेशन पर नाम को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था. नतीजतन रेलवे स्टेशन का 13 साल बाद भी नामकरण नहीं हो पाया है.
रेलवे मंत्रालय के रिकॉर्ड में स्टेशन का नाम है बड़की चांपी
रेलवे मंत्रालय के रिकॉर्ड में स्टेशन का नाम बड़की चांपी रेलवे स्टेशन है. लेकिन, कमले व बड़की चांपी के ग्रामीणों के बीच जारी खींचतान के कारण स्टेशन का नामकरण अब तक नहीं हो पाया है. इस स्टेशन से सरकार को सालाना लगभग 15 लाख रुपए राजस्व की प्राप्ति होती है, लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. कमीशन के आधार पर टिकट वितरक काम कर रहे हैं.
बड़की चांपी होकर एक सुपरफास्ट, 2 मेल ट्रेन चलती है
रांची-टोरी रेलखंड पर लोहरदगा वाया बड़की चांपी रेलवे स्टेशन होते हुए टोरी तक एक सुपरफास्ट तथा 2 मेल एक्सप्रेस ट्रेन का परिचालन होता है. कई मालगाड़ियों का परिचालन भी हो रहा है. 12 नवंबर 2011 को लोहरदगा से पहली बार बड़की चांपी तक ट्रेन दौड़ी थी. यात्री ट्रेन का शुभारंभ तत्कालीन सांसद सुदर्शन भगत तथा अन्य जनप्रतिनिधियों ने किया था.
12 नवंबर 2011 को पहली बार चली यात्री ट्रेन
लोहरदगा-रांची रेल लाईन से यात्री ट्रेन पहली बार लोहरदगा से बड़की चांपी तक 12 नवंबर 2011 को चली. मार्च 2017 से यात्री ट्रेन बड़की चांपी से टोरी तक चलने लगी. सुबह 11:25 बजे लोहरदगा से यात्री ट्रेन बड़की चांपी पहुंचती है. यहां से बोदा होते हुए टोरी जाती है. टोरी से बोदा होते हुए लगभग 1:50 बजे बड़की चांपी लौटती है और लोहरदगा चली जाती है. इसके अलावा रांची-सासाराम मेल एक्सप्रेस ट्रेन बड़की चांपी होकर चलती है, जबकि राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन भी इसी रूट से चलती है.
इस रूट पर चलतीं हैं ये ट्रेनें
- रांची-टोरी रेलखंड वाया लोहरदगा-बड़की चांपी पैसेंजर ट्रेन
- सासाराम-रांची एक्सप्रेस ट्रेन
- रांची चोपन एक्सप्रेस ट्रेन
- एक-दो मालगाड़ी हर दिन चलती है
सप्ताह में 3 दिन इस रूट से चलती है रांची-चोपन ट्रेन
सप्ताह में 3 दिन रांची-चोपन एक्सप्रेस चलती है, तो सासाराम-रांची व रांची-सासाराम एक्सप्रेस 6 दिन इस रूट से चलती है. रांची-टोरी पैसेंजर ट्रेन हर दिन एक फेरा लगाती है. इसके समय में बदलाव किया गया है.
क्यों नहीं हो पाया अब तक स्टेशन का नामकरण?
बताया जाता है कि स्टेशन के नामकरण को लेकर दो गांव के लोगों में विवाद है. रेलवे के रिकॉर्ड में स्टेशन का नाम बड़की चांपी है. ग्रामीणों का कहना है कि जहां स्टेशन है, वह जगह कमले गांव में पड़ता है. इसलिए स्टेशन का नाम कमले होना चाहिए. रेलवे के सर्वे में बड़की चांपी नाम अंकित हो चुका है. इसलिए अब तक स्टेशन का आधिकारिक तौर पर नामकरण नहीं हो पाया है. जानकार बताते हैं कि कमले तथा बड़की चांपी गांव के लोगों की बैठक हो चुकी है. स्टेशन का नाम ग्रामीणों की सहमति से ही होगी. ऐसा लगता है कि जल्द ही इस स्टेशन का नामकरण हो जाएगा.
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मूलभूत सुविधा के नाम पर कुछ नहीं, सुरक्षा भी नदारद
बड़की चांपी रेलवे स्टेशन पर मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. एक चापानल है, जो गर्मी में यात्रियों की प्यास बुझाने के लिए काफी नहीं है. इस स्टेशन से कुड़ू प्रखंड की आधा दर्जन पंचायतों के साथ-साथ लोहरदगा सदर प्रखंड की आधा दर्जन पंचायतों, किस्को प्रखंड की 4 पंचायतों, चंदवा प्रखंड की दो पंचायतों के ग्रामीण रांची, लोहरदगा से लेकर टोरी, डाल्टेनगंज तथा दिल्ली तक जाने के लिए ट्रेन पकड़ने बड़की चांपी स्टेशन आते हैं. यहां एक शेड है, जबकि प्याऊ बेकार पड़ा है. प्याऊ भी क्षतिग्रस्त पड़ा है. सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है.
बड़की चांपी से बॉक्साइट को रेणूकुट भेजे जाने की तैयारी
बड़की चांपी रेलवे स्टेशन से बॉक्साइट की ढुलाई के लिए डंपिंग यार्ड बनाया गया है. बड़की चांपी से बॉक्साइट को उत्तर प्रदेश के रेणूकुट भेजने की तैयारी है. इससे रेलवे के राजस्व में वृद्धि होगी.