लोहरदगा के कैरो में पांच वर्ष बाद भी बेकार पड़ा हुआ है चार करोड़ का ITI भवन, अभी तक शुरू नहीं हुई पढ़ाई

संवेदक ने भवन निर्माण करा के विभाग को हस्तांतरित भी कर दिया, परंतु भवन निर्माण के पांच वर्ष बाद भी आइटीआइ का पढाई शुरू नहीं हो सकी.

By Prabhat Khabar News Desk | September 14, 2023 12:30 PM
an image

रांची : प्रशासनिक उदासीनता के कारण जनता की गाढ़ी कमाई आज यूँ ही बर्बाद हो रही है. प्रखंड क्षेत्र में कई ऐसे महत्वपूर्ण योजना के संचालन को लेकर करोड़ो रुपये की लागत से भवन का निर्माण कराया गया, परंतु आज भवन देख रेख के अभाव में जर्जर होने के साथ शरारती तत्वों का अड्डा बनता जा रहा है.

बात करें प्रखंड क्षेत्र में उच्च शिक्षा को बेहतर करने के लिए 2017-18 में एडादोन कोयल नदी तट पर लगभग चार करोड़ रुपये के लागत से आइटीआइ की पढ़ाई प्रारंभ कराने के उद्देश्य से भवन का निर्माण, भवन निर्माण विभाग के द्वारा कराया गया था. संवेदक ने भवन निर्माण करा के विभाग को हस्तांतरित भी कर दिया, परंतु भवन निर्माण के पांच वर्ष बाद भी आइटीआइ का पढाई शुरू नहीं हो सकी. वहीं भवन की खिड़की दरवाजा क्षतिग्रस्त हो रहा है.

आइटीआइ भवन के निर्माण प्रारंभ होने से क्षेत्र के अभिभावको में एक नयी ऊर्जा का संचार हुआ था कि बच्चों को बेहतर उच्च शिक्षा प्रखंड में ही प्राप्त होगा पर अभिभावकों का सपना चकना चूर हो रहा है.पढाई शुरु होने से अब तक क्षेत्र के कितने छात्रों का भविष्य संवर जाता. वहीं दूसरी ओर प्रखंड मुख्याल के पश्चिम दिशा के ओर नंदनी नदी के पास निर्मित झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय का निर्माण 2021-22 में करोड़ों की लागत से निर्माण हुआ. यहां पर भी विद्यालय निर्माण शुरू होने से क्षेत्र के अभिभावकों को बालिकाओं को पढ़ाने को लेकर एक आस जगी. परंतु भवन निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद विभाग को हस्तांतरित करने के बाद भी बालिका विद्यालय का संचालन नहीं हो सका है.

विदित हो कि कैरो के बालिकाओं को कुडू आवासीय विद्यालय में रह कर पढ़ाई करना पड़ता है, जबकि कुडू का भवन भी जर्जर है, जहां बालिकाओं के लिए हमेशा खतरा बना रहता है. कैरो में आवासीय विद्यालय प्रारंभ हो, इसके लिए गांव के छात्राओं के अभिभावकों ने स्वयं के खर्च से विद्यालय आने जाने के लिए वैकल्पिक रास्ता का निर्माण कराया. वहीं हर संभव सहयोग करने का प्रयास किया. परंतु विद्यालय में अभी तक पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है. ग्रामीणों का कहना है की सरकारी स्तर पर बच्चों की पढ़ाई को लेकर कई योजना बनती है, लेकिन धरातल पर नजर नहीं आती है. साथ ही लोगो का गाढ़ी कमाई का पैसा भी बर्बाद हो जाता है.

Exit mobile version