मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कोशिश लाई रंग, कोयले का विकल्प ब्रिकेट हुआ तैयार, लोहरदगा में प्लांट लगा
ब्रिकेट का उत्पादन सूखे पत्तों, पुआल, डंडियों, कृषि उत्पाद एवं वन के व्यर्थ पदार्थों से किया जाता है. ब्रिकेट की ऊष्मा (ताप) लगभग कोयले के समान है. ब्रिकेट का उपयोग ढाबों, ईंट भट्ठों, होटल, पावर प्लांट, अन्य उद्योगों, एवं घरेलू कार्य इत्यादि में किया जा सकता है.
Jharkhand news, Lohardaga news लोहरदगा : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के रोजगार उपलब्ध कराने की पहल रंग लाने लगी है. इससे रोजगार के रास्ते खुल रहे हैं. ग्रामीणों को आय भी होने लगी है. इसी का एक उदाहरण है ब्रिकेट. लोहरदगा जिले के किस्को प्रखंड के पाखर पंचायत के एक गांव तिसिया में कोयले का विकल्प ब्रिकेट तैयार हो गया है. कोयला और लकड़ी दोनों के विकल्प के रूप में इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा. यहां ब्रिकेटिंग प्लांट की स्थापना भी कर ली गयी है और इससे उत्पादन भी शुरू हो गया है. ऐसे में अब वह समय आ गया है, जब लोहरदगा जैसा छोटा जिला ब्रिकेट का उत्पादन कर पावर प्लांट, उद्योगों, ढाबों, ईंट भट्ठों, होटल एवं घरेलू कार्य में ईंधन के रूप में इसका आपूर्ति करेगा. ब्रिकेट इको फ्रेंडली तो है ही, साथ ही ताप एवं खर्च के मामले में भी यह कोयले की तुलना में अधिक गुणवत्तापूर्ण है.
क्या है ब्रिकेट : ब्रिकेट का उत्पादन सूखे पत्तों, पुआल, डंडियों, कृषि उत्पाद एवं वन के व्यर्थ पदार्थों से किया जाता है. ब्रिकेट की ऊष्मा (ताप) लगभग कोयले के समान है. ब्रिकेट का उपयोग ढाबों, ईंट भट्ठों, होटल, पावर प्लांट, अन्य उद्योगों, एवं घरेलू कार्य इत्यादि में किया जा सकता है.
स्थानीय कमेटी कर रही है संचालन :
इस परियोजना को सफल बनाने का बीड़ा वन सुरक्षा समिति एवं लैंप्स-पैक्स के समन्वय से गठित सहकारी समिति ने उठाया है. इस समिति में दैनिक कार्यों के संपादन, माल उत्पादन तथा मार्केटिंग के लिए समूह बनाये गये हैं. उचित प्रशिक्षण के बाद सफलतापूर्वक यह काम शुरू कर दिया गया है. यहां हर रोज 90 से 100 लोग कार्य कर रहे हैं.
Posted By : Sameer Oraon