जिले में विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में लूट की खुली छूट है. इसका ताजा उदाहरण किस्को प्रखंड में देखने को मिला है. प्रखंड में विधायक मद से बनाया गया गार्डवाल 45 दिन भी नहीं टिका. खरकी पंचायत के खरकी बाला टोली नदी के समीप मुरतू खान की खेत के पास लगभग 250 फीट का गार्डवाल, पांच लाख, 75 हजार की लागत से बनाया गया था, जो नदी में बाढ़ आते बह गया. इसके निर्माण कार्य के अभिकर्ता जिला परिषद के कनीय अभियंता नवनीत रंजन भगत थे.
ठेकेदार ने नियम को ताक पर रख कर जैसे-तैसे गार्डवाल बना दिया था. इसमें न तो सही मात्रा में सीमेंट दिया गया था और न ही अन्य सामग्री. पैसा बचाने के चक्कर में जैसे-तैसे काम पूरा कर दिया गया. आसपास के ग्रामीणों का कहना है कि जैसे-तैसे घटिया तरीके से निर्माण कार्य करा दिया गया. निर्माण कार्य हुए दो माह भी नहीं हुए और वह बह गया.
गार्डवाल बहने से स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश है. उनका कहना है कि जनता की कमाई का पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. लोगों ने बताया कि इसके निर्माण के समय ही लोगों ने घटिया सामग्री के उपयोग करने पर आपत्ति जतायी थी. लोगों ने बताया कि गार्डवाल निर्माण में नींव की गहराई जितनी करनी चाहिए थी, उतनी की नहीं गयी. घटिया सीमेंट, बालू व जंगल के पत्थर से जैसे-तैसे मात्र दीवार खड़ी कर दी गयी.
नींव कमजोर व सही मात्रा में सीमेंट बालू नहीं दिये जाने से गार्डवाल पहली बरसात भी नहीं झेल पाया और उसका आधा हिस्सा बह गया. ग्रामीणों ने बताया कि यह काम विधायक मद से कराया गया था और इसके अभिकर्ता जिला परिषद के कनीय अभियंता थे. लेकिन धरातल पर काम कांग्रेस पार्टी के एक प्रखंडस्तरीय नेता ने कराया था. चूंकि नेता प्रखंड का सर्वेसर्वा था. इसलिए लोगों के विरोध का कोई प्रभाव नहीं पड़ा.