लोहरदगा का हरिजन बांध अपना अस्तित्व बचाने के लिए कर रहा संघर्ष, जीर्णोद्धार के लिए दिया गया आवेदन लेकिन नहीं हुई कोई कार्रवाई

ग्रामीणों द्वारा दिये गये आवेदन के बाद भी आज तक बांध का जीर्णोद्धार नहीं हो पाया है. बांध की गहराई भी कम हो गयी है, जिससे पानी का ठहराव नहीं हो पाता है. आज से 10 वर्ष पूर्व उक्त बांध में गर्मी के दिनों में भी लोग सिंचाई के अलावा मछली पालन व मवेशियों को पानी पिलाने समेत अन्य कार्यों में उपयोग में लाया जाता था, लेकिन वर्तमान समय में बांध पूरी तरह सूख गया है. बांध के किनारे झाड़ी व गंदगी फैली हुई है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 21, 2021 1:08 PM

कैरो : जिले के प्रखंड अंतर्गत विराजपुर पथ के किनारे स्थित हरिजन बांध अपना अस्तित्व खोने की कगार पर है. लगभग दो एकड़ में फैले बांध आज बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है. बांध के जीर्णोद्धार के लिए ग्रामीणों द्वारा कई बार प्रखंड कार्यालय में आवेदन दिया गया है, लेकिन इस पर आज तक किसी प्रकार की कोई पहल नहीं की गयी है. अफसरशाही के आगे जनता की आवाज दब गयी. यहां के अधिकारियों को जन समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है. बांध की मरम्मत हो जाने से पानी का संचयन होता, जिससे सैकड़ों एकड़ खेत की सिंचाई होती.

ग्रामीणों द्वारा दिये गये आवेदन के बाद भी आज तक बांध का जीर्णोद्धार नहीं हो पाया है. बांध की गहराई भी कम हो गयी है, जिससे पानी का ठहराव नहीं हो पाता है. आज से 10 वर्ष पूर्व उक्त बांध में गर्मी के दिनों में भी लोग सिंचाई के अलावा मछली पालन व मवेशियों को पानी पिलाने समेत अन्य कार्यों में उपयोग में लाया जाता था, लेकिन वर्तमान समय में बांध पूरी तरह सूख गया है. बांध के किनारे झाड़ी व गंदगी फैली हुई है.

ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि सभी जनहित के मुद्दों पर खामोश रहते हैं. बांध का जीर्णोद्धार के लिए ग्रामीणों द्वारा प्रखंड प्रशासन को कई बार आवेदन दिया गया है, लेकिन आज तक बांध की मरम्मत के लिए प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किसी प्रकार की पहल नहीं की गयी है. अगर मरम्मत हो जाये, तो सिंचाई के अलावा दैनिक कार्यों में उपयोग के लिए लोगों को पानी की सुविधा मिल पाती. गांव के सुखराम उरांव का कहना है कि बांध इस क्षेत्र की पहचान थी, लेकिन सरकारी उदासीनता व जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा ने बर्बाद कर दिया है.

Posted By : Sameer Oraon

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