कैरो प्रखंड क्षेत्र के हरिजन मुहल्लावासी आज भी रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में जाने को मजबूर हैं. लगातार मुहल्लेवासियों को काम नहीं मिलने का नतीजा लोग काम की तलाश में अब दूसरे राज्यों में जाने को विवश है. एक ओर सरकार मनरेगा और विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लोगों को गांव में ही काम देने का दावा करती हैं, परंतु मनरेगा में भुगतान की परेशानी देख मजदूर काम में नहीं जाते.
रोजाना काम नहीं मिलने के कारण उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. कैरो प्रखंड क्षेत्र में ऐसे कई गांव हैं, जहां रहनेवाले लोगों के घरों में लटकता ताला बेरोजगारी की स्थिति बयां कर रही हैं. कैरो पंचायत के हरिजन टोली में लगभग 125 परिवारों के 12 से 13 सौ सदस्य रहते है.
पर आज 40 से 45 घरों में ताला लगा हुआ है, अधिकतर घरो में वृद्ध एवं बच्चे रहते हैं. परिवार के जीविकोपार्जन के लिए अधिकांश लोग धान कटनी के बाद विभिन्न राज्यों के ईट भठ्ठों में काम करने चले जाते है. चूंकि धान कटनी के बाद इन्हें गांव में रोजगार नहीं मिल पाता है. आर्थिक तंगी के कारण विवश होकर लोग पलायन करने को मजबूर हैं.
ईट भठ्ठा से लौटने के बाद बाहर कमाने गये लोग यही बोलते हैं कि यह बाहर जाने का अंतिम साल है. इसके बाद बाहर नहीं जायेंगे. गांव घरों में ही मजदूरी एवं रोजी रोजगार का अपने परिवार के साथ रहेंगे. लेकिन जैसे ही इन्हें काम मिलना बंद हो जाता है, इनके पास परिवार चलाने का कोई उपाय नहीं दिखता तो पुन: अन्य प्रदेशो में जाने को विवश हो जाते है.