लोहरदगा जिले के कैरो प्रखंड के चरिमा झखराटोली की रहनेवाली इंदु भगत मत्स्य पालन कर किसानों को प्रेरित कर रही हैं. इंदु भगत स्नातकोत्तर की पढ़ाई के बाद बीएड की पढ़ाई की ताकि शिक्षक के रूप में कैरियर बना सके. लेकिन नौकरी का मौका नहीं मिल पाने बाद अंततः मत्स्यपालन कर अब एक सफल उद्यमी के रूप में उभर रही हैं.
क्षेत्र में मत्स्यपालक के रूप में लोग अब पहचान रहे हैं. इंदु पढ़ी-लिखी महिला हैं लेकिन एक बेहतर मौका नहीं मिल पाने के कारण नौकरी नहीं मिल सकी है. बताया जाता हैं कि कोरोना में पति की नौकरी गयी तो जीवनयापन के लिए किसी अन्य विकल्प की तलाश शुरू हो गयी. शुरुआत में गांव के आस-पास के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया लेकिन स्थायी समाधान नहीं हो पाया.
इस दौरान एक दिन मोबाईल में यू-ट्यूब में मत्स्यपालन से जुड़े कुछ वीडियो दिखे तो मन में मत्स्यपालन करने के लिए आवश्यक जानकारी हासिल करने लगीं. मत्स्यपालन में सरकारी सहयोग की राशि व अन्य सहायता के बारे पूरी जानकारी हासिल कर वे मत्स्य कार्यालय पहुंचीं. इसमें शिक्षित होने का बहुत फायदा मिला और योजना की अच्छी तरह समझ पायीं.
इंदु और उनके पति ने वर्ष 2020-21 में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के लिए आवेदन दिया जो स्वीकृत हो गया. कुल 14 लाख की योजना स्वीकृत हुई जिसमें सरकार की ओर से अनुदान राशि 8.40 लाख रुपये और लाभुक का अंशदान 5.60 लाख रुपये था. इस राशि से इंदु ने 16 हजार वर्ग फीट तालाब के साथ-साथ अन्य छोटे तालाब भी कुछ राशि जुटाकर खुदवाया. सरकार के अलावा बैंक की ओर से केसीसी राशि और रिश्तेदारों से राशि जुटायी. पति के कुछ पुराने बचत राशि को भी इसमें लगाया और अंततः चार तालाब तैयार हो गये.
तालाब तैयार होने के बाद इंदु ने इसमें पश्चिम बंगाल से लाकर अपने निजी खर्च से पंगास, रूपचंदा और रेहू प्रजाति की मछली का बीज डाला. पंगास और रूपचंदा प्रजाति की मछली का उत्पादन प्रारंभ हो चुका है और इंदु भगत अब तक तीन लाख रूपये से अधिक की मछली बिक्री कर चुकी हैं. इंदु का कहना है कि उनके पति ने अगर भरोसा नहीं जताया होता तो वे कभी भी एक सफल मत्स्यपालक नहीं बन पातीं. जो भी मत्स्यपालन के क्षेत्र में जाना चाहते हैं उन्हें मत्स्यपालन से जुड़ीं सभी जानकारियां एकत्रित कर लेनी चाहिए और सरकार की ओर से चलायी जा रही योजनाओं का लाभ लेना चाहिए.