लोहरदगा में अत्यधिक ठंड बढ़ने से जनजीवन अस्त व्यस्त, हर तबके के लोग परेशान

ठंड के कारण किसान समय से अपने खेतों में नहीं पहुंच रहे हैं तो दूसरी ओर सरकारी कार्यालय में ग्रामीण इलाके से पहुंचने वाले लोग भी कम संख्या में पहुंच रहे हैं. बढ़ती ठंड से सबसे ज्यादा परेशानी किसान एवं मजदूर तबके के लोगों को हो रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 28, 2023 5:22 AM
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लोहरदगा : लोहरदगा में लगातार तापमान में आयी गिरावट के कारण ठंड बढ़ने से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. ठंड बढ़ने से हर तबके के लोग परेशान हैं. दिन में बादल छाए रहने और कनकनी हवाओं के बहने से तापमान में अत्यधिक गिरावट आई है. ठंड बढ़ने के कारण लोगों का दिनचर्या भी बदल गया है. मॉर्निंग वॉक करने वाले लोग भी 8 बजे के बाद अपने घरों से बाहर निकल रहे हैं. कामकाजी लोग भी ठंड के कारण अपना काम समय से पूरा नहीं कर पा रहे हैं. जिससे उनका काम अधूरा पडता जा रहा है. जो 9 बजे तक शहरी बाजार में पहुंच जाते थे. वे भी 11 बजे शहर पहुंच रहे हैं. जिससे उनका काम नहीं हो पा रहा है.

ठंड के कारण किसान समय से अपने खेतों में नहीं पहुंच रहे हैं तो दूसरी ओर सरकारी कार्यालय में ग्रामीण इलाके से पहुंचने वाले लोग भी कम संख्या में पहुंच रहे हैं. बढ़ती ठंड से सबसे ज्यादा परेशानी किसान एवं मजदूर तबके के लोगों को हो रहा है. जिन्हें अपने खेतों में काम करना होता है. इसके अलावा दिहाड़ी मजदूर जो रोज कमाने खाने वाले हैं उन्हें ठंड के कारण सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अत्यधिक ठंड बढ़ने के कारण ग्रामीण इलाके के लोगों को परेशानी झेलना पड़ रहा है. वनांचली इलाके के लोग जिनके पास पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े नहीं है. वे आग ताप कर ठंड से बचने के भरसक प्रयास में जुटे हुए हैं. वनांचली इलाके के लोगों ने बताया कि कनकनी हवाओं एवं शीतलहर के कारण उन्हें खासा परेशानी हो रही है.

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दिनभर चल रही शीत लहर के कारण रात गुजारना मुश्किल हो रहा है . वे किसी तरह लकड़ी जलाकर रात गुजारने को विवस है.अत्यधिक ठंड के कारण मनुष्य के साथ-साथ मवेशियों को भी ठंड का कहर झेलना पड़ रहा है. जो मवेशी आम दिनों में घर के बाहर हुआ करते थे उन मवेशियों को भी मवेशी मालिक अपने घरों में अपने साथ रखने को विवस है. रात में गिर रही कुहासा से फसल बर्बाद हो रहे हैं. किसानों को अपना फसल बचाना मुश्किल भरा काम साबित हो रहा है. हालांकि कृषि वैज्ञानिक द्वारा किसानों को कुहासा से फसल को बचाने के लिए फसल में बरकरार नमी बनाए रखने की सलाह दी जा रही है.

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