गोपी कुंवर, लोहरदगा :
लोकतंत्र का पर्व संसदीय चुनाव आ रहा है तथा सभी राजनीतिक दल फील्डिंग सजाने में लग गए हैं. राष्ट्रीय पार्टी भाजपा और कांग्रेस के नेता लोग एक ओर उम्मीदवार बनने की ललक में दिल्ली दौरा बढ़ा दिए हैं वहीं दूसरी ओर कुछ लोग उम्मीदवारी कटवाने के चक्कर में भी दौड़ लगा रहे है. वैसे देखा जाए तो आजादी के बाद से लोहरदगा संसदीय क्षेत्र से 16 लोगों ने यहां का प्रतिनिधित्व किया.जिसमें जिसमें सर्वप्रथम 1957 में झारखंड पार्टी के इग्निस बैक थे तो ,1961 में एस. डब्लू .ए .पार्टी के डेविड मुंजनी. उसके बाद कांग्रेस के कार्तिक उरांव, जनता पार्टी के लालू उरांव, भारतीय जनता पार्टी के ललित उरांव, कांग्रेस के ही सुमती उरांव, इंद्रनाथ भगत, बीजेपी के प्रो . दुखा भगत, कांग्रेस के रामेश्वर उराव तथा तीन चुनाव से लगातार हैट्रिक मारे भाजपा के सुदर्शन भगत ने यहां का प्रतिनिधित्व किया है.
वैसे देखा जाए तो यह सीट परंपरागत रूप से कांग्रेसियों का गढ़ माना जाने वाला सीट रहा है, परंतु राम लहर में तथा जब जब यहां त्रिकोणात्मक चुनाव हुए यह सीट भाजपा की झोली में गई .कभी जोड़ा पति चुनाव चिन्ह से लड़े विनोद भगत, टांगी छाप से आदिवासी छात्र संघ के उम्मीदवार चमरा लिंडा ने भाजपा की राह आसान की है. दिलचस्प बात यह भी है कि पिछले तीन चुनाव में मात्र लगभग 9000 वोट के अंतर से हार जीत हो रही हुई है. 2009 के चुनाव में सुदर्शन भगत ने आदिवासी छात्र संघ के उम्मीदवार चमरा लिंडा को लगभग 8000 वोट से हराकर कांग्रेस को तीसरे स्थान में धकेल दिया तथा 2014 में सुदर्शन भगत ने डॉ रामेश्वर राव को 6000 वोट से तथा 2019 के चुनाव में सुदर्शन भगत ने कांग्रेस के सुखदेव भगत को तकरीबन 9000 के मार्जिनल वोट से आउट किया.
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अभी वर्तमान में देखा जाए तो इस संसदीय क्षेत्र में 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिनमें तीन झारखंड मुक्ति मोर्चा तथा दो कांग्रेस के हाथ में है. इसलिए इस बार का चुनाव भाजपा कांग्रेस के बीच न होकर बीजेपी, कांग्रेस और झामुमो के बीच हो जाए तो कोई बड़ी बात नहीं? क्योंकि तीनों राजनीतिक दल अपने अपने कैलकुलेशन के हिसाब से जीत के प्रति आशान्वित भी हैं. सूत्रों के हवाले से झामुमो के विधायक चमरा लिंडा चुनावी बैटिंग करने के लिए बल्ला उठा लिए हैं और गठबंधन में यह सीट झामुमो को जाती है या कांग्रेस को जाती है, यह एक बड़ा प्रश्न होगा? और यदि एलाइंस में यह सीट कांग्रेस को मिल जाती है तो भी चमरा लिंडा निर्दलीय के तौर पर भी चुनाव लड़ेंगे ऐसा सूत्र बताते हैं . वही भाजपा की ओर से भी उम्मीदवारों की लंबी सूची है जिसमें वर्तमान सांसद सुदर्शन भगत भी हैं. सुदर्शन भगत को आरएसएस का वरदहस्त प्राप्त है. सुदर्शन भगत मृदु भाषी और ईमानदार नेता के रूप में देखे जाते हैं . वही तीन बार के मार्जिनल वोट से हार जीत हुई इस सीट पर मोदी और अमित शाह की निगाहें हैं, तो, राहुल गांधी और खड़गे भी अपनी पूरी शक्ति लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.
क्योंकि मात्र एक दो परसेंट के वोट की शिफ्टिंग से यह सीट किसी को भी ताज पहना सकता है .लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र में अभी से ही राजनीतिक दलों के द्वारा अपनी तैयारी अंदर ही अंदर शुरू कर दी है. लोकसभा चुनाव लडने के लिए कई लोग लालायित हैं. इसमें वैसे भी कुछ लोगों के नाम शामिल हैं जो धरातल पर पंचायत का चुनाव भी नहीं जीत सकते हैं.लेकिन सुरक्षित सिट है तो दावेदारी पेश करने में क्या जाता है.भीतरघात सभी दलों में है और इसका नूकसान उम्मीदवारों को बराबर होता आया है. अब तो ऐसे लोग चिन्हित भी हो चुके हैं और खुलेआम इसकी चर्चा भी चौक चौराहे पर होती है. लेकिन कहा जाता है कि यही चुनाव की खूबसूरती है. बाजार की अर्थव्यवस्था को ऐसे ही लोग टाइट रखते हैं.लोहरदगा मे अभी से ही जीत हार की चर्चाएं शुरू हो गई है.