भगवान बिरसा मुंडा की जयंती मनायी गयी
सरस्वती शिशु विद्या मंदिर सेन्हा में धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150 वीं जयंती धूमधाम से मनायी गयी.
फोटो बच्चों को जानकारी देते प्रधानाचार्य सेन्हा लोहरदगा. सरस्वती शिशु विद्या मंदिर सेन्हा में धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150 वीं जयंती धूमधाम से मनायी गयी. विद्यालय के प्रधानचार्य द्वारा कार्यक्रम की शुरुआत भगवान बिरसा मुंडा की तस्वीर पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्चन कर किया गया. मौके पर प्रधानाचार्य बिमलेश कुमार तिवारी ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा का देश की आजादी के लिए दिया गया बलिदान को कभी भुलाया नही जा सकता है. कहा कि भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को खूंटी जिला के उलिहातु ग्राम में एक किसान परिवार में हुआ था. बचपन से अंग्रेजो का अत्याचार को देख भगवान बिरसा मुंडा के मन में अंग्रेजो के प्रति विद्रोह की भावना जगी. जिससे अंग्रेजों के विरुद्ध जनजातीय विद्रोह उलगुलान प्रारम्भ किया. जिसका नेतृत्व स्वयं भगवान बिरसा मुंडा कर रहे थे. साथ ही कहा कि जंगल जमीन की लड़ाई लड़ने वाले महान आदिवासी जन चेतना के लोकनायक भगवान बिरसा मुंडा के शौर्य बलिदान को सच्चे मायने में कभी भुलाया नही जा सकता है. इस अवसर पर भैया बहनों के बीच विद्यालय में कई तरह का खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. मौके पर प्रतिभा देवी, सुषमा देवी, मीना देवी, संध्या कुमारी, मालती कुमारी, रिंकी कुमारी, निधि कुमारी, जयप्रकाश सिंह सहित विद्यालय के भैया बहन उपस्थित थे. जनजातीय गौरव दिवस पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया लोहरदगा. मनोहर लाल अग्रवाल सरस्वती विद्या मंदिर इंटर महाविद्यालय लोहरदगा में जनजातीय गौरव दिवस भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के उपलक्ष्य में भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ बिरसा मुंडा के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलन और पुष्पार्चन से किया गया. आचार्या रेणु दीदी ने बिरसा मुंडा के जीवन और संघर्षों पर प्रकाश डाला. महाविद्यालय के छात्रों ने भाषण प्रतियोगिता में उत्साहपूर्वक भाग लिया और उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. प्रतियोगिता में निर्णायक मंडली के रूप में आचार्या यशोदा कुमारी और ऋद्धि मिश्रा ने अपनी भूमिका निभायी. प्रथम स्थान किरण कुमारी, द्वितीय स्थान उज्जवल देवघरिया और तृतीय स्थान कमला उराँव ने प्राप्त किया. सभी विजेताओं को पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रीति कुमारी गुप्ता, रश्मि साहू, कविता कुमारी, नीतू कुमारी, सनोज कुमार साहू, सत्यम सतलज, रितेश कुमार पाठक और आरती भगत सहित सभी आचार्य-दीदी और भैया – बहनों का योगदान रहा.
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