नुकसान : पशु आहार का भी नहीं निकल रहा दाम
कुड़ू : लॉकडाउन व कोरोना वायरस का असर दुधारू मवेशी पालकों पर भी पड़ा है. दूध की कीमतों में आयी गिरावट से किसान परेशान हैं. डेयरी में भी पशुपालकों को उचित दाम नहीं मिल रहा है. नतीजा किसान गांवों में जैसे- तैसे मूल्यों में दूध बेचने को विवश हैं. ज्ञात हो कि श्वेत क्रांति के अग्रदूत कुड़ू प्रखंड में दुधारू पशुपालकों की संख्या में इजाफा हुआ है . एक दर्जन से अधिक दूध संग्रह केंद्र बने हैं.
किसान लॉकडाउन से पहले इन दूध संग्रह केंद्र में दूध देते थे तथा खाते में पैसे जमा होते थे. लॉकडाउन के कारण दूध की मांग कम होने से दूध का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है. प्रखंड के बड़कीचांपी, जरियो, चुंद डुमर टोली, चुंद पतरा टोली, कुंदगड़ा, दुबांग, जिलिंग, नावाटोली, विश्रामगढ़, जिंगी, जीमा, चटकपुर समेत अन्य गांवों से प्रतिदिन लगभग तीन हजार लीटर दूध लोहरदगा मिल्क फेडरेशन को जाता है.
किसानों ने बताया कि लॉकडाउन से पहले दूध प्रतिलीटर 33 से 34 रुपये लीटर के हिसाब से खरीदारी होती थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण दूध की खरीदारी 27 से 28 रुपये लीटर हो रही है. प्रतिलीटर पांच से छह रुपये कम होने से नुकसान हो रहा है. किसानों ने बताया कि मवेशियों को खिलाने वाले चारा चोकर, बादाम खल्ली, कटरपीन, भूसी समेत अन्य के दामों में जहां इजाफा हुआ है, तो हरा चारा का जुगाड़ करने में दो से तीन मजदूर रखने पड़ रहे है.
कम दाम में दूध बेचने के बाद न तो मजदूरों को मजदूरी भुगतान का पैसा निकल पा रहा है न ही मवेशियों को खिलाने का चारा का दाम. लॉकडाउन के कारण एक ओर जहां पशु आहार के दाम में इजाफा हुआ है, वहीं दूध के दामों में गिरावट हुई है, जिससे किसानों को पशु पालना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे में किसानों की लागत भी नहीं निकल रही है. किसानों का कहना है कि सरकार गरीब लोगों को अनाज मुहैया करा रही है, लेकिन किसानों के दूध का उचित दाम को दिलवाने में राज्य सरकार कुछ नहीं कर रही है. इस संबंध में कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.