लोहरदगा में मॉनसून की बेरुखी से सुखाड़ की संभावना, किसान चिंतित
किसानों का बीड़ा छीटा हुआ अब महीना पार कर रहा है. जिसके कारण धान रोपने का समय पास कर चुका है. अब धान की रोपनी करने से भी उम्मीद के अनुसार उपज होने की संभावना नहीं है.
प्रखंड क्षेत्र में अभी तक बारिश नहीं होने के कारण खेती का काम लगभग रुका हुआ है. धान रोपनी का काम शुरू भी नहीं हो सका है. ऐसी परिस्थिति में किसान सूखा की मार झेलने की कल्पना कर रहे हैं. मॉनसून की बेरुखी से किसान धान के बिचड़े को बर्बाद होते देख रहे हैं. किसानों का मानना है कि 99 फीसदी धान की बुवाई अब हाइब्रिड नस्ल की होती है. हाइब्रिड धान की रोपनी बिचढ़ा छींटने की 25 दिनों के अंदर हो जाने से ही फसल से अच्छे उपज की संभावना होती है.
लेकिन किसानों का बीड़ा छीटा हुआ अब महीना पार कर रहा है. जिसके कारण धान रोपने का समय पास कर चुका है. अब धान की रोपनी करने से भी उम्मीद के अनुसार उपज होने की संभावना नहीं है. इस प्रकार किसानों का मानना है कि इस वर्ष भी धान का फसल सूखा की भेंट चढ़ गया. किसान अगले साल भी सूखे की मार झेल चुके हैं. अब इस साल भी सूखा की मार झेलने की बात से किसानों की चिंता की लकीर बढ़ती जा रही है.
17 जुलाई तक क्षेत्र में मात्र 87 मिली मीटर बारिश हुई है, जिसके कारण खेतों में पानी नहीं हो सकी है. पारंपरिक जल स्रोत अभी भी सूखा है. किसान बताते हैं कि इस वर्ष एक बार भी खेतों में पानी नहीं भरा. जिसके कारण खेत अभी भी ऐसे ही पड़ा हुआ है. किसान अभी भी आस लगाए हुए हैं कि बारिश हो, तो धान रोपने का कार्य किया जा सके.