लोहरदगा में पुरानी पाचा व्यवस्था आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में है कायम, सामूहिक प्रयास से होती है खेती
बरपानी निवासी रामवृक्ष नगेसिया का कहना है की यह पाचा व्यवस्था कारगर हैं, क्योकि बरसात में पैसों के अभाव में किसी का खेती-बारी प्रभावित नही हो.
आद्युनिकता की दौड़ में एक ओर जहां लोग एक दूसरे से प्रतिस्पर्द्धा कर आगे बढ़ने की होड़ में जुटे हैं. वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि कार्य के लिए अभी भी वर्षो पुरानी पाचा व्यवस्था कायम हैं. यहां आज भी ग्रामीणों द्वारा एकता की बीज बोए जा रहे हैं. इस पाचा व्यवस्था के अंतर्गत ग्रामीण किसान सामूहिक रूप से धान रोपनी, बिचड़ा की तैयारी, खेतो में हल चलाना आदि कार्य सामूहिक रूप से करते हैं.
इसके तहत घान रोपनी के अलावा खपरैल छप्परकी मरम्मत, शादी-विवाह व श्राद्ध कार्य के लिए लकड़ी काटना आदि कार्य प्रमुख हैं. लोहरदगा सदर प्रखंड के जुरिया, बाधा, निंगनी, बमनडीहा, कैमों, किस्को प्रखंड क्षेत्र के सुदूरवर्ती क्षेत्र केराझरिया, बोंडोबार, पाखर, ढहरबाटी, कठुआपानी, देवदरिया, बहाबार, तलसा, खड़िया, उल्दाग, खुभीखांड, जोबांग, चेरवाटाड़, खरचा, डहरबाटी, बरपानी, कुडू प्रखंड के जिंगी, कोलसिमरी, तान, चांपी, कोकर, बरटोली, भंडरा प्रखंड के टोटो, मसमानो, धानामुंजी,
पोडहा, सेन्हा प्रखंड के नौदी, हैसवे, मुर्की, पतलो, बंसरी, अलौदी, मुरपा, ईचरी, बदला, कैरो प्रखंड के गुड़ी, बाघी, सढ़ाबे, डुमनटोली, खरता, कैरो, बिराजपुर, जामुनटोली, बक्सी, टाटी, नरौली, नवाटोली, गोपालगंज आदि गांवो में यह व्यवस्था आज भी उसी अंदाज में कायम हैं, जो पूर्व में थी. इन क्षेत्रों में इसे पाचा व्यवस्था के नाम से जाना जाता हैं. बरपानी निवासी रामवृक्ष नगेसिया का कहना है की यह व्यवस्था कारगर हैं, क्योकि बरसात में पैसों के अभाव में किसी का खेती-बारी प्रभावित नही हो. कार्य संपन्न होने के बाद स्वामी द्वारा काम में शामिल होने वाले परिवार के सदस्यों व बच्चों को एक वक्त का सामुहिक भोजन कराया जाता हैं.