गोपी कुंवर, लोहरदगा
एक तरफ सरकार शिक्षा को लेकर नये नये नारे गढ रही है. लेकिन विद्यालयों में शिक्षक ही नहीं हैं तो बच्चे पढेंगे कैसे ? आधी रोटी खायेंगे, फिर भी स्कूल जायेंगे जैसे नारे बेमानी साबित हो रहे हैं. बच्चे आधी रोटी खाकर स्कूल तो जा रहे हैं लेकिन उन्हें पढाने वाला कोई नहीं है. भंडरा प्रखंड की बात करें तो यहां 13 विद्यालय में मात्र एक एक शिक्षक पदस्थापित है.एक शिक्षक पदस्थापित रहने के कारण विद्यालय संचालन में कई समस्याओं का सामना विद्यालय के शिक्षकों को करना पड़ रहा है.ऐसे विद्यालयों के शिक्षकों को पठन पाठन से लेकर सरकारी कामों के लिए भी समस्या झेलनी पड़ती है. एक शिक्षक होने के कारण कभी छुट्टी लेने पर स्कूल बंद हो जाता है. प्रखंड के ऐसे विद्यालयों में प्राथमिक विद्यालय तेतरपोका,कोटा, पंडरिया, गडरपो ,आकाशी टंगरा टोली, कचमची ,धनामुंजी ,भंवरो बलुआ टोली, तेतरचूंआ ,छोटा अम्बेरा, सीग्रटोली , बंडा पतरा टोली शामिल है.अभिभावकों का कहना है कि मंत्री अधिकारी के बेटे तो सरकारी स्कूलों में नहीं पढते हैं. उन्हें इससे कोई लेना-देना नहीं है. यहां बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. बच्चे स्कूल जा कर क्या करेंगे. आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि एक शिक्षक स्कूल में क्या करेगा. सरकारी स्कूलों की सि्थिती बद से बद्तर है. सिर्फ कागजों में ही पढाई हो रही है. शिक्षा विभाग के अधिकारी बैठकों में ही बडी बडी बातें करते हैं. जनप्रतिनिधि भी जनता की समस्याओं से दूर रहते हैं.अब सिर्फ चुनाव के समय ही शिक्षा, स्वास्थ्य और किसानों की बातें होती है.लोगों का भरोसा अब टूटता जा रहा है. शिक्षा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. एक शिक्षक आते हैं, वो भी मनमौजी तरीके से और धूप में बैठकर चले जाते हैं. इस संबंध में प्रखंड शिक्षा कार्यक्रम पदाधिकारी का कहना है कि विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है. विभाग इस समस्या को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है