लोहरदगा के कैरो में स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर खिलवाड़, 1.11 करोड़ का स्वास्थ्य केंद्र पड़ा है बेकार
कैरो प्रखंड मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जर्जर अवस्था में है. कैरो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक डॉक्टर, एक एएनएम पदस्थापित हैं. वहीं जीएनएम, लैब टैक्निशियन का पद रिक्त पड़ा है
कैरो प्रखंड मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जर्जर अवस्था में है. कैरो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक डॉक्टर, एक एएनएम पदस्थापित हैं. वहीं जीएनएम, लैब टैक्निशियन का पद रिक्त पड़ा है. प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र में पूर्व विधायक कमल किशोर भगत ने विधायक निधि से एंबुलेंस मुहैया कराया था. जो आज कुडू स्वास्थ्य केंद्र में रखा गया है.
कैरो प्रखंड को दर्जा मिले 10 वर्ष से अधिक समय गुजर चुका है, परंतु स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है. लोगों को छोटी-मोटी बीमारियों के इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है. प्रखंड क्षेत्र में कई एेसे गांव हैं, जो पूर्ण रूप से आदिवासी बहुल गांव हैं. जहां स्वास्थ्य सुविधा नदारत है. अगर इनके घरों में कोई बीमार पड़ जाये, तो भगवान भरोसे ही बचाया जा सकता है.
कैरो प्रखंड मुख्यालय से भंडरा व कुडू की दूरी लगभग 12 किलोमीटर है. वहीं भंडरा जाने वाली सड़क जर्जर है. प्रखंड वासियों को बाहर इलाज के लिए जाने का साधन नगजुवा रेलवे स्टेशन हैं. स्वास्थ्य सुविधा नहीं होने के कारण लोग झोला छाप डॉक्टरों का सहारा लेते हैं और असमय मौत के मुंह में समा जाते है. कंदनी नदी के किनारे स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर वर्ष 2010-11 में 1 करोड़ 11 लाख रुपये की लागत से अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कराया गया था, जो आज जर्जर अवस्था में पड़ा है.
स्वास्थ्य केंद्र की खिड़की और दरवाजा को असामाजिक तत्वों द्वारा चोरी की जा रही है. वर्तमान में कैरो स्वास्थ्य केंद्र में एक डॉक्टर, एक एएनएम, एक जीएनएम से मरीजों का इलाज किया जाता है. स्वास्थ्य केंद्र में प्रत्येक माह 450 से 500 मरीज इलाज को आते हैं, परंतु सुविधा के नाम पर कुछ भी उपलब्ध नहीं है.
कैरो प्रखंड के स्वास्थ्य केंद्र में किसी तरह की कोई सुविधा नहीं है. यहां एक चिकित्सक पदस्थापित है. जिनके भरोसे यहां के लोग रहते है. यहां के स्वास्थ्य केंद्र में न तो ब्लड जांच की सुविधा है और ना ही एक्स-रे मशीन है. दवाई के नाम पर कुछ दवाई दे दी गयी है, जो मरीजों के किसी काम की नहीं है. यहां एंबुलेंस की भी सुविधा नहीं है. इस संबंध में चिकित्सक राकेश कुमार का कहना है कि समस्याएं है और निदान के लिए सिविल सर्जन को लिखा गया है. लेकिन अभी तक कोई लाभ नहीं हुआ है.