लोहरदगा : लोक आस्था का केंद्र है टिको शिव मंदिर, जुटते हैं हजारों श्रद्धालु
बताया जाता है कि केसरे हिंद की जमीन पर बहनें वाली टिको नदी के तट पर शिव मंदिर का निर्माण गंगाधर पाठक तथा अन्य द्धारा 11 दशक पहले किया गया था.
प्रखंड के जीमा तथा टाटी पंचायत के सीमाना पर केसरे हिंद की भूमि पर स्थापित टिको शिव मंदिर लोक आस्था तथा दरबार में हाजिरी लगाने वालों की फरियाद पूरी करने को लेकर प्रसिद्ध हो गया है. देश के पांच शिवलिंगों में शुमार टिको नदी तट पर स्थापित शिव मंदिर में उतर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल से लेकर दिल्ली तथा मुम्बई के श्रद्धालु पुरोहितों के साथ टिको शिव मंदिर पहुंचते हैं व रुद्राभिषेक से लेकर शिव पुराण तथा शिव जी को खुश करने के लिए तरह-तरह के पूजन करते हैं.
भोलेनाथ के दरबार में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की पुकार कभी खाली नहीं गयी है. बताया जाता है कि केसरे हिंद की जमीन पर बहनें वाली टिको नदी के तट पर शिव मंदिर का निर्माण गंगाधर पाठक तथा अन्य द्धारा 11 दशक पहले किया गया था. पुरोहित को रात में एक सपना आया कि टिको नदी के समीप एक पत्थर निकल आया है, जो भोलेनाथ का एक रूप है. टिको नदी के समीप निकले शिवलिंग में दुग्धाभिषेक करें.
पुरोहित गंगाधर पाठक सुबह जब टिको नदी तट पर पहुंचे, तो उन्हें एक शिवलिंग नजर आया. साल 1920 में पुरोहित गंगाधर पाठक ने शिवलिंग की सेवा करना शुरू किया. इसकी चर्चा कुड़ू में फैल गयी. अंग्रेजी हुकूमत के भय से आमजन चोरी-छिपे टिको नदी तट पर पहुंचते तथा पूजा-अर्चना करना शुरू किये. खपरैल मंदिर का निर्माण कराया गया.
खपरैल मंदिर बनने के बाद टिको नदी तट पर स्थित शिव मंदिर की ख्याति फैल गयी कि श्मशान घाट के तट पर स्थित शिव मंदिर में श्रद्धालुओं द्धारा मांगी गई मन्नत कम खाली नहीं जाती है. पुरोहित लवकेश पाठक ने बताया कि देश में पांच स्थानों वाराणसी, विंध्याचल, काशी, कांजीपुरम तथा बंगाल का तारापीठ ही ऐसा शिव मंदिर है, जहां श्मशान घाट के समीप शिवधाम है. इस संबंध में बीडीओ मनोरंजन कुमार ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है मामले से जिला प्रशासन को अवगत कराते हुए विकास कराने की मांग किया जायेगा.